गाजियाबाद। हिरासत में हुई एक मौत को लेकर साहिबाबाद पुलिस थाने के आठ पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) एच.एन. सिंह ने साहिबाबाद पुलिस थाने के आठ पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।
निलंबित किए गए पुलिसकर्मियों में पुलिस निरीक्षक सुधीर त्यागी, उप पुलिस निरीक्षक अखिलेश गौर, नीरज कुमार त्यागी, गजेंद्र सिंह, अतुल कुमार और हवलदार प्रेम सिंह, राहुल और संजीव शामिल हैं।
एसएसपी ने यह कदम मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राजेश कुमार द्वारा की गई जांच में पुलिसकर्मियों को हिरासत में संदिग्ध की मौत मामले में दोषी पाए जाने के बाद उठाया है।
पुलिस की उदासीनता उस समय प्रकाश में आई, जब रिकार्ड में दर्ज मनदीप नेगी नामक एक व्यक्ति को नरेंद्र मोहन अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसकी बाद में मौत हो गई थी। और जब शव को शमशान घाट भेजा गया तो उसकी पहचान एक अज्ञात के रूप में की गई थी। पुलिस ने उसका दाह संस्कार भी एक अज्ञात के रूप में किया था।
पुलिस रिकार्ड के अनुसार नौ जुलाई को आदित्य, अजीत, अर्जुन और रिंकू श्याम पार्क एक्टेंशन में एक संदिग्ध चोर को पकड़ कर उसे पुलिस के हवाले करते हैं।
वहीं दूसरी ओर संदिग्ध के अपने घर से लापता होने के बाद परिवार के सदस्य 10 जुलाई को पुलिस में अपने पुत्र के नौ जुलाई से लापता होने संबंधी शिकायत दर्ज कराने पहुंचे। बजाए शिकायत दर्ज करने के पुलिस ने शिकायतकर्ता परिवार को वापस भेज दिया।
इस मामले को आगे बढ़ाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और बहुजन समाज पार्टी(बीएसपी) के नेता सत्य पाल चौधरी ने आरोप लगाया कि परिवार के सदस्य 12 जुलाई तक पुलिस के साथ संपर्क में थे, लेकिन 15 जुलाई को पुलिस ने एक संदिग्ध चोर की अज्ञात के रूप दाह संस्कार कर दिया।
जुलाई 16 को जब परिवार के सदस्यों ने मृतक की पहचान की, तब उन्होंने पुलिस निरीक्षक सुधीर त्यागी पर उनको भ्रम में रखने, उनकी शिकायत दर्ज नहीं करने और उनके पुत्र का अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया। इसकी बाद में पहचान मनदीप नेगी के रूप में की गई।
परिवार के सदस्यों ने अपने पुत्र के पुलिस हिरासत में मारे जाने का आरोप लगाते हुए पुलिस थाने के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
आम लोगों के भारी विरोध को देखते हुए पुलिस ने आदित्य, अजीत और अर्जुन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। बीएसपी नेता ने कहा कि यद्यपि एसएसपी ने पीड़ित परिवार को न्याय दिया है, लेकिन पुलिस थाने के बदमाश कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए।