लखनऊ। बिहार विधानसभा चुनावों में अपनी राजनीतिक कुशलता से नीतीश कुमार को विजय श्री दिलाने वाले प्रशांत किशोर ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए चुनावी रणनीति बनाने के पहले ही हार मान ली है।
उन्होंने जब कांग्रेस के उपाध्यक्ष और स्थानीय नेताओं के साथ बैठक की और यूपी में जमीनी अध्ययन किया तो उन्होंने साफ तौर पर कह दिया कि कांग्रेस किसी भी कीमत पर यूपी विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकती। इसके पीछे प्रशांत किशोर का कहना है कि कांग्रेसी नेताओं की जो बेरुखी है जनता और चुनाव के प्रति वो कभी भी कांग्रेस को नहीं जीतने देगी।
गौरवतलब है कि कांग्रेस ने यूपी विधानसभा चुनावों के लिए प्रशांत किशोर को चुनावी रणनीति बनाने का जिम्मा सौंपा था लेकिन फिर भी उसे निराशा ही लगी। उत्तर प्रदेश में पार्टी को मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने निर्मल खत्री को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था लेकिन वह भी पार्टी की गिरती साफ को नहीं बचा पाए।
वहीं लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की काट के लिए उनके ही गृह प्रदेश गुजरात से लेकर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मधुसूदन मिस्त्री को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया। इसके बावजूद मिस्त्री व खत्री मिलकर कुछ गुल नहीं खिला सके बल्कि खुद प्रदेश अध्यक्ष डा. निर्मल खत्री अपनी भी सीट नहीं बचा सके।
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस मात्र अमेठी व रायबरेली तक ही सीमित रह गई। यहां तक कि यूपी से एनडीए शासन में कई मंत्री भी थे लेकिन वे मंत्री भी चुनाव हार गए।
इस बार कांग्रेस यूपी में सियासी बढ़त बनाने के लिए प्रशांत किशोर का सहारा लेने का मन बनाया था। इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस को अब जनता पर भरोसा नहीं रह गया है। वह प्रबंधन के जरिए चुनाव का रिजल्ट चाहती है।
लेकिन राजनीतिज्ञों का कहना है कि यूपी में जब मिस्त्री और खत्री, पुनिया और प्रकाश कुछ नहीं कर पाए तो प्रियंका और प्रशांत क्या कर पाएंगे? खबर है कि अब प्रशांत किशोर ने भी हाथ खींच लिया है।