नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय संविधान बेंच ने फैसला किया है कि चुनाव में कोई धर्म का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
कोर्ट ने कहा कि कोई उम्मीदवार अपने या विरोधी उम्मीदवार के धर्म, जाति या भाषा का इस्तेमाल चुनाव में नहीं कर सकता है।
सात जजों में से चार जजों ने कहा कि चुनाव में धर्म का इस्तेमाल नहीं हो सकता। लेकिन तीन जजों ने कहा कि धर्म क का इस्तेमाल चुनाव में किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष पद्धति है। इसमें धर्म काम इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति का भगवान से संबंध निजी मामला है। इसमें राज्य सरकार का दखल नहीं होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में तैनात सिपाही ने खुद को मारी गोली
दिल्ली पुलिस के एक सिपाही ने सोमवार को अपनी सर्विस पिस्तौल से खुद को गोली मार ली। चांद पाल नाम का यह कांस्टेबल दिल्ली पुलिस की सिक्युरिटी यूनिट से था और आजकल सुप्रीम कोर्ट में तैनात था।
चांद पाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का रहने वाला था। 10 फरवरी को उसकी शादी होने वाली थी। इस पूरी घटना को पिछले दिनों पुलिस फोर्स में एक साथ 25 हजार पुलिसकर्मियों का प्रमोशन जोड़कर देखा जा रहा है। फिलहाल पुलिस सिपाही के द्वारा ऐसा जानलेवा कदम उठाने की जांच कर रही है।