जयपुर। राजस्थान में पंचायत चुनाव होने के बाद सरकार ने बिजली दरों में संशोधन करने की तैयारी कर ली है। सरकार यह कवायद बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार अगले कुछ ही दिनों में राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग द्वारा बिजली कंपनियों की याचिका पर लिए गए निर्णय को अपनी मंजूरी दे देगी। मार्च से बिजली 18 प्रतिशत तक महंगी हो सकती है। सरकार इस बार किसानों को भी अधिक रियायत देने के मूड में नहीं है। गौरतलब है कि बिजली कंपनियों ने बीते साल जुलाई में आयोग में याचिका दायर कर दरों में संशोधन की अपील की थी।
राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग में दायर याचिकाओं के अनुसार बढ़ोतरी के साथ यूनिट गिनने का पैटर्न बदलने की सिफारिश की गई, जिसे स्वीकार किया जा चुका है। इससे प्रदेश के करीब सात लाख घरेलू-अघरेलू उपभोक्ताओं का बिल में आगामी मार्च से पच्चीस प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। जयपुर डिस्कॉम के जानकारों के अनुसार संशोधन के बाद मध्यम वर्ग के तमाम प्रकार के उपभोक्ता महंगी बिजली के दायरे में आ जाएंगे। यहां तक की पचास यूनिट से अधिक बिजली का उपयोग करने वाले बीपीएल उपभोक्ता भी इससे नहीं बच सकेंगे। नई दरों में 300 से ज्यादा यूनिट खर्च करने वाले उपभोक्ता बुरी तरह प्रभावित होंगे।
डिस्कॉम विशेषज्ञों के अनुसार राज्य सरकार कंपनियों की सिफरिश पर स्लैब की संख्या पांच से घटाकर चार करने पर तैयार हो गई है। इसके साथ ही यूनिट गिनने का पैटर्न बदलने से उपभोक्ताओं को कम दर वाली स्लैब का फायदा मिलना बंद हो जाएगा। नई व्यवस्था में बिल के लिए यूनिट की गणना मौजूदा स्लैब व उससे एक स्लैब नीचे की बिजली दर से ही किए जाने का प्रावधान किय गया है। जबकि वर्तमान व्यवस्था में बिल राशि की गणना न्यूनतम दर से शुरू की जाती है।
संशोधन के बाद किसानों व बीपीएल उपभोक्ताओं को भी बढ़ोतरी के दायरे में लिया जाएगा। नियामक आयोग ने याचिकाओं पर विचार विमर्श का काम पूरा कर लिया है। निर्णय से अगले एक दो दिनों में सरकार को अवगत करा दिया जाएगा। इसके बाद संभवत अगले सप्ताह तक सरकार इस बारे में निर्णय कर कंपनियों को दरें बढ़ाने की हरी झंड़ी दे देगी।
सूत्रों की माने तो सरकार की मंशा बजट सत्र से पहले बिजली दरों में बढ़ोतरी करने की है। क्योंकि वर्ष 2014-15 के लिए बिजली कंपनियों को आगामी चार माह बाद फिर से याचिका दायर करनी होगी। इससे पहले राज्य सरकार बिजली कंपनियों के लिए केन्द्र से वित्तीय मदद चाहती है लेकिन इसके लिए पहले बिजली दरों में संशोधन जरूरी है।