उदयपुर। सरकारी दवाइयों में तीन लाख दस हजार रूपए का गबन करने वाले आरोपी प्रतापगढ़ के पशुपालन विभाग के उपनिदेशक ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया। उसकी जमानत अर्जी नामंजूर कर जेल भेज दिया गया।
प्रकरण के अनुसार पशुपालन विभाग प्रतापगढ़ में सरकारी दवाइयों में लाखों रूपए का गबन करने के मामले में लिप्त प्रतापगढ़ के तत्कालीन उपनिदेशक शाहजहांपुर अलवर निवासी डॉ. देवेंद्रलाल मीणा ने विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण मामलात) की अदालत में आत्मसमर्पण किया।
आरोपी की ओर से जमानत का प्रार्थना पत्र पेश किया जिस पर सुनवाई के दौरान अभियोजन अधिकारी गणेश शंकर तिवारी ने कहा कि सरकारी दवाओं में गबन का गम्भीर मामला है ऐसे मामले में आरोपी को जमानत का लाभ दिया जाना न्यायोचित नहीं।
पीठासीन अधिकारी अजित कुमार हिंगर ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए आरोपी की जमानत अर्जी को नामंजूर करते हुए न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया। इस मामले में लिप्त भगवानपुर भरतपुर नवलकिशोर जाटव और प्रतापगढ़ के तत्कालीन उपनिदेशक गुलाबचंद जिंदल पूर्व में गिरफ्तार किए जा चुके है।
आरोपी डॉ. निरंजनलाल मीणा ने राजस्थान उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत का प्रार्थना पत्र पेश किया, जिस पर हाईकोर्ट ने कहा कि 9 मार्च से संबंधित न्यायालय में पेश हो तथा जमानत की अर्जी भी वहीं पर पेश की जाए। हाईकोर्ट के दिशा-निर्देश के आधार पर आरोपी डॉ. निरंजनलाल मीणा ने अदालत में आत्मसमर्पण किया था।
ये है मामला
28 सितम्बर 2012 को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के पुलिस उप अधीक्षक रामनिवास को सूचना मिली कि पशुपालन विभाग प्रतापगढ़ के उपनिदेशक द्वारा जिले के प्रथम श्रेणी चिकित्सालयों (नोडल सेंटर) को आवंटित दवाइयां वाऊचर में दवाइयों की मात्रा अंकित की जा रही उससे कम मात्रा में दवाइयों का वितरण किया जा रहा है।
इस दल द्वारा पीपलखूंट द्वारा चिकित्सालय पहुंचा जहां 2400 दवाइयों में से मात्र 300 दवाइयां मिली। इसके अलावा लाम्बा, डाबरा, सुहागपुरा, रामपुरिया, घटाली, नायन, डूगलवाड़ी को आवंटित 2400 दवाइयों में से मात्र 1200 दवाइयां ही मिले।
इंजेक्शन में भी 2400 में से मात्र 800 मिले। इसी तरह दवाइयां भी कम पाई गई। इस तरह इन आरोपियों ने मिलीभगत कर 3 लाख 10 हजार 363 रूपए 64 पैसे की दवाइयों का गबन किया।