कोलकाता। जानी-मानी लेखिका महाश्वेता देवी का निधन हो गया। गुरुवार दोपहर सवा तीन बजे के करीब कोलकाता के एक गैरसरकारी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे 90 साल की थीं। वह लंबे समय से बीमार चल रही थी। महाश्वेता के निधन पर साहित्य जगत में शोक की लहर दौर गई है।
राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि देश ने एक महान लेखिका, बंगाल ने अपनी मां तथा मैंने अपना अभिभावक खो दिया। महाश्वेता का शव शुक्रवार सुबह दस बजे रवीन्द्र सदन में आम जनता के दर्शनार्थ रखा जाएगा।
10 से 12 बजे तक आम लोग महाश्वेता को श्रद्धांजलि दे सकेेंगे। मैग्सैसे व ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित इस लेखिका का जन्म 14 जनवरी 1928 को बंगलादेश की राजधानी ढाका में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। ज्ञानपीठ के अलावा महाश्वेता को पदमश्री व पदमविभूषण सम्मान से भी नवाजा गया था।
उनके पिता मनीष घटक बांग्ला भाषा के प्रसिद्ध लेखक थे तथा चाचा ऋत्विक घटक विख्यात फिल्म निर्देशक थे। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा शांति निकेतन में प्राप्त की। स्नातक विश्वभारती से उत्तीर्ण करने के बाद कोलकाता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर की डिग्री ली।
वर्ष 1964 में विजयगढ कॉलेज में अधयापन शुरु किया। उसी समय उन्होंने साहित्यिक लेखन भी शुरु की। बाद में वह लेखिका के रुप में प्रसिद्ध हुई। महाश्वेता जीवन के अंतिम समय तक लिखती रही। बांग्ला भाषा की वह एकमात्र लेखिका थी जिनकी लगभग सभी कृतियों का हिन्दी व अन्य भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
उनकी चुनिंदा कृतियों में हजार चौरासी की मां, अक्लांत कौरव, अग्निगर्भ, अमत संचय, आदिवासी कथा, र्इंट के उपर र्इंट, चोटी मुंडा और उसका तीर, जंगल के दावेदार, जकडन, जली थी अग्निशिखा, झांसी की रानी आदि है।
उनकी कृतियों पर फिल्में भी बनाई जा चुकी है। गणगोर, रुदाली, हजार चौरारी की मां, संघर्ष सहित अन्य कुछ फिल्में उनकी कृतियों पर बनाई जा चुकी है।
महाश्वेता देवी का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति
रांची। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने लेखिका महाश्वेता देवी के निधन पर गहरा शोक जताया है। अपने शोक संदेष में मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों के सुख-दुखः की सहयात्री, विचारोत्तेजक एवं मार्मिक लेखनी की धनी, पद्म विभूषण एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार, से सम्मानित महान युगदृष्टा साहित्यकार महाश्वेता देवी का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है।
उन्होंने कहा कि उनके निधन से देश के साहित्य जगत में जो शून्यता आई है उसकी भरपाई करना कठिन है। ईष्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।