नई दिल्ली। दो दिन बाद भारत के राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त हो रहे प्रणब मुखर्जी ने रविवार को संसद भवन में आयोजित विदाई समारोह में संसद सदस्य के तौर पर अपने पहले दिन को याद करते हुए भावुक हो गए।
संसद भवन के केंद्रीय सभागार में दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि आप सबके प्रति आभार और दिल में प्रार्थना का भाव लिए मैं आप सबसे विदाई ले रहा हूं। मैं संतृप्ति का भाव लिए और इस संस्थान के जरिए इस महान देश के एक विनम्र सेवक के रूप में सेवा करने की दिल में खुशी लिए जा रहा हूं।
संसद में विदाई भाषण : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कही मन की बात
मुखर्जी ने कहा कि चूंकि मैं इस गणराज्य के राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त हो रहा हूं, मेरा इस संसद के साथ संबंध भी समाप्त हो रहा है। अब मैं भारतीय संसद का हिस्सा नहीं रहूंगा। यह थोड़ा दुखद और स्मृतियों की बरसात जैसा होगा, जब कल मैं इस शानदार इमारत को विदा कहूंगा।
संसद से अपने जुड़ाव के दिनों को याद करते हुए मुखर्जी ने कहा कि जब मैंने पहली बार इस पवित्र संस्थान के प्रवेश द्वार से पहली बार प्रवेश किया, तब मेरी उम्र 34 साल थी।
मुखर्जी ने कहा कि 1969 में मैं राज्यसभा सदस्य के तौर पर संसद में आया। तब से पिछले 37 वर्षो के दौरान मैंने लोकसभा और राज्यसभा सदस्य के तौर पर अपनी सेवाएं दीं।
मैंने ऐसे समय में इस संसद में प्रवेश किया, जब राज्यसभा अनुभवी सांसदों और स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं से भरा हुआ था, जिनमें से कुछ बेहद प्रभावशाली वक्ता थे – एम. सी. चागला, अजित प्रसाद जैन, जयरामदास दौलतराम, भूपेश गुप्ता, जोएकिम अल्वा, महावीर त्यागी, राज नारायण, डॉ. भाई महावीर, लोकनाथ मिश्रा, चित्ता बासु और भी कई लोग।