कानपुर। एक करोड़ से अधिक सदस्यों के साथ भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में सदस्यों के लिहाज से सबसे आगे है। यही नहीं फ्रंटल संगठनों की संख्या भी इससे कम नहीं है।
इसके बावजूद पार्टी यूपी फतह के लिए टोटके का सहारा ले रही है। जिसके चलते प्रधानमंत्री की रैली को उसी तिथि में रखा गया है जिस तिथि पर नरेन्द्र मोदी ने तीन साल पहले लोकसभा चुनाव का आगाज किया था।
बताते चलें कि यूपी परिवर्तन रैली में 18 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कानपुर में जनसभा को संबोधित करने वाले थे। जिसको बाद में तिथि में बदलाव कर पीएमओ ने 19 दिसम्बर को हरी झण्डी दी।
बताया जा रहा है कि यह सब हुआ टोटके के चलते क्योंकि इसके पहले 19 अक्टूबर, 2013 को तत्कालीन पार्टी प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने कानपुर से विजय शंखनाद रैली का आगाज किया था जिससे यूपी में 73 सांसदों की जीत के साथ केन्द्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी।
इसी को देखते हुए पार्टी पदाधिकारियों ने 18 दिसम्बर की जनसभा को बदलाव करने की सलाह दी। हुआ भी ऐसा पीएमओ ने एक दिन बाद पीएम की रैली को हरी झण्डी दे दी। जिससे पार्टी पदाधिकारी आत्मविश्वास से लबरेज हो गए।
जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र मैथानी ने बताया कि 19 तारीख पार्टी के लिए लकी है। एक बार फिर इसी तारीख से मोदी यूपी के परिवर्तन का आगाज करने जा रहें है। पूर्व मंत्री प्रेमलता कटियार का कहना है कि पार्टी यूपी में जमीनी स्तर पर पूरी तरह से मजबूत है।
रही बात 19 तारीख की तो यह तारीख पार्टी के लिए ऐतिहासिक व सौभाग्यशाली है। इस दिन पीएम की रैली होने से विजय का आत्मविश्वास और बढ़ जाना स्वाभाविक है।
कुर्सी में छिपे राज तिथि के साथ पार्टी पदाधिकारी तीन साल पहले विजय शंखनाद रैली में नरेन्द्र मोदी जिस कुर्सी पर बैठे थे उसे भी शौभाग्यशाली मानते है। जिसके चलते उस कुर्सी को कार्यालय में सीसे के जार में रख दिया गया था।
जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र मैथानी का कहना है कि इस कुर्सी को जब बनवाया गया था तो ग्रह नक्षत्र पार्टी के अनुरूप थे। इसीलिए इसी कुर्सी पर मोदी फिर बैठेंगे और हमें विश्वास है कि यूपी की जनता पार्टी पर एक बार फिर विश्वास करेगी और प्रदेश को लूटने वालों को सत्ता से बेदखल कर देगी।