पुणे/मुम्बई/दिल्ली। भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान एफटीआईआई के अध्यक्ष पद पर गजेंद्र चौहान की नियुक्ति रद्द करने के लिए सरकार को बाध्य करने में असफल रहने पर आंदोलनकारी छात्रों ने बुधवार को अपनी हड़ताल एकतरफा रूप से समाप्त कर दी।
लेकिन साथ ही अपना विरोध जारी रखने की घोषणा की। वहीं 10 जानेमाने फिल्मनिर्माताओं ने छात्रों के साथ एकजुटता जताते हुए और देश में बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ अपने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दिए।
एफटीआई स्टूडेट्स एसोसिएशन एफएसए के प्रतिनिधि विकास उर्स ने पुणे में कहा कि हम छात्रों के हित में अपनी हड़ताल सामूहिक निर्णय के तौर पर तत्काल समाप्त कर रहे हैं और शिक्षा की ओर वापसी कर रहे हैं लेकिन हमारा विरोध जारी रहेगा। हम अपनी लड़ाई को आगे ले जाएंगे।
एफटीआईआई में जारी गतिरोध समाप्त होने पर दिवाकर बनर्जी और आनंद पटवर्धन सहित 10 प्रमुख फिल्मनिर्माताओं ने छात्रों के मुद्दों का समाधान करने में सरकार की उदासीनता और असहिष्णुता के माहौल के खिलाफ अपने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने की मुम्बई में घोषणा की।
उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा कि फिल्म निर्माताओं के तौर पर हम एफटीआईआई छात्रों के साथ खड़े हुए हैं और इस बात को लेकर प्रतिबद्ध हैं कि विरोध प्रदर्शन का पूरा बोझ केवल उनके ही कंधों पर नहीं पड़े। उन्होंने कहा कि हम वह सम्मान लौटाने को विवश हो रहे हैं जो हमें सरकार ने प्रदान किए हैं।
हत्याओं में भूमिका निभाने वाली ताकतों से पूछताछ किए बिना मौतों पर संवेदना प्रकट करना, हमारे देश को नुकसान पहुंचा रही बुरी ताकतों को मौन स्वीकार्यता है। एफटीआईआई छात्रों की ओर से यह एकतरफा घोषणा तब हुई है जब आंदोलनकारी छात्रों और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की बातचीत गतिरोध समाप्त करने में असफल रही।
दोनों पक्ष चौहान को हटाने के मुद्दे पर परस्पर विरोधी स्थिति से हटने को तैयार नहीं हुए। चौहान को धारावाहिक महाभारत में युधिष्ठिर की उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है।