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मारवाड़ी घोड़े आजमा रहे हैं इंग्लैंड की रॉयल हॉर्स आर्टिलरी के जवान - Sabguru News
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मारवाड़ी घोड़े आजमा रहे हैं इंग्लैंड की रॉयल हॉर्स आर्टिलरी के जवान

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मारवाड़ी घोड़े आजमा रहे हैं इंग्लैंड की रॉयल हॉर्स आर्टिलरी के जवान
England Royal Horse Artillery personnel trying to Marwari horses
England Royal Horse Artillery personnel trying to Marwari horses
England Royal Horse Artillery personnel trying to Marwari horses

झुंझुनू।  राजस्थानी शान के प्रतीक मारवाड़ी नस्ल के घोड़े अगर इंग्लैंड की किंग्स ट्रुप रॉयल हॉर्स ऑर्टिलरी की पंसद पर खरे उतर गए, तो उन्हें ब्रिटिश महारानी के शाही घुड़साल में शामिल किया जा सकता है।

रॉयल हॉर्स आर्टिलरी के यहां आए जवानों की बातों से ऐसा ही संकेत मिला है। इस सेना के आफिसर जवान इन दिनों डूंडलोद में इस घोड़े की सवारी का आनंद ले रहे हैं।

डूंडलोद के रघुवेंद्रसिंह के नेतृत्व में आठ जवान चूड़ी अजीतगढ़, महणसर, अलसीसर राणासर में घूमेंगे। राणासर में कैम्प भी लगेगा।

जवान अपनी सेना के 300 वर्ष पूरे होने पर इंग्लैंड में होने वाली प्रदर्शनी में शामिल करने के लिए मारवाड़ी घोड़े को देखने आए हैं।

महारानी का संदेश निमंत्रण भी लाए हैं। सात दिसंबर को ये जवान भारत के तोपखाने के चीफ को निमंत्रण संदेश देंगे। हालांकि इस संदेश के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है।

जवान इन घोड़ों पर टेंट पेंगिंग का अभ्यास भी करेंगे। 12 दिसंबर को जयपुर में पोलो मैच खेलेंगे 13 दिसंबर को पुलिस एकेडमी भी जाएंगे। सेना के जवान करीब 28 देशों की यात्रा करेंगे। अफ्रीका भी जाएंगे।

गौरतलब है कि राजा की सेना रॉयल हॉर्स आर्टिलरी ब्रिटिश सेना की एक औपचारिक इकाई है।

सबसे वफादार घोड़ा बताया विशेषज्ञों ने

सैकड़ों सालों से मारवाड़ी घोड़े अपनी धाक जमाए हुए हैं। घोड़ों के जानकारों के अनुसार मारवाड़ी नस्ल के घोड़े में धैर्य कम होता है, बहुत जल्द ही गुस्से में जाता है। लेकिन वफादारी में इसका कोई सानी नहीं। मालिक की गंध चेहरे को पहचानता है। कैप्टन जैक स्टम ने बताया कि मारवाड़ी घोड़ा बहुत समझदार होता है और घुड़सवार से जल्दी तालमेल बैठा लेता है।

भारतीय अश्व संस्था के सचिव रघुवेंद्रसिंह डूंडलोद ने बताया इस सेना ने मारवाड़ी घोड़े को पंसद किया है, जो एक शुभ संदेश है। इंग्लैंड की आर्मी को यह घोड़ा पसंद आने के बाद इंडियन आर्मी में भी इस घोड़े के जाने का रास्ता खुल सकता है।

फिलहाल इस घोड़े को इंडियन आर्मी में शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने इस घोड़े के एक्सपोर्ट पर रोक लगा रखी है, इसलिए यह घोड़ा अभी अपनी विश्वस्तरीय पहचान नहीं बना पाया है।