नई दिल्ली। देश की आम जनता को राष्ट्र के वास्तविक इतिहास और अंग्रेजी लेखकों के माध्यम से लिखी गई हिस्ट्री के अंतर को बताने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक मुहिम शुरू करने जा रहा है। मुहिम के जरिए भारत राष्ट्र के उस इतिहास को सामने लाया जाएगा, जिसकी अब तक उपेक्षा करने के साथ ही गलत बताया जाता रहा है।
देश की जनता को राष्ट्र के इतिहास और विदेशी लेखकों द्वारा लिखी गई देश की हिस्ट्री के भेद को सामने लाने की जिम्मेदार संघ ने अखिल भारतीय इतिहास-संकलन योजना संस्था को सौपी है। यह संघ से ही जुडा एक संगठन है। यह इतिहास के क्षेत्र में कार्यरत विद्वानों का एक संगठन है जो इतिहास, संस्कृति, परम्परा आदि के क्षेत्र में कार्य करता है।
इतिहास संकलन योजना संगठन के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. सतीश चन्द्र मित्तल ने बताया कि भारत राष्ट्र के इतिहास को अंग्रेजों ने विकृत और भ्रामक रूप में जानबूझकर लिखा। इसके पीछे उनका मकसद देश में अपने साम्राज्य को फैलाना, ईसाइयत का प्रचार और अपना प्रचार करना था।
उन्होंने अपनी हिस्ट्री में भारत राष्ट्र की सभी परिभाषा बदल दी। उसी परिपाटी पर चलते हुए वामपंथी इतिहासकारों ने भी भारत के बारे में पश्चिमी दृष्टि से लिखा। इसलिए यह जरुरी हो गया है कि देश की जनता को वास्तविक इतिहास की जानकारी दी जाए।
उन्होंने बताया कि इस साल में चार बडे कार्यक्रम आयोजित कर देश के इतिहासकारों, प्रोफेसर और लेखकों को हिस्ट्री और इतिहास में अंतर बताया जाएगा। पहला दो दिवसीय सम्मेलन आगामी 19 मार्च को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में आयोजित किया जाएगा। इसमें लगभग 250 युवा इतिहासकार हिस्सा लेंगे।
इसी तरह दूसरा सेमिनार आगामी अगस्त माह में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में आयोजित किया जाएगा। यह विशेषकर महिला इतिहासकारों के लिए होगा। इसके बाद सितंबर महीने में आयोजित होने वाला वर्ग ऐसे लेखकों के लिए होगा जो इतिहासकार नहीं हैं।
इस श्रृंखला का चौथा और अंतिम दो दिवसीय सेमिनार आगामी 22 अक्टूबर को कुशीनगर में होगा। इसमें देश-विदेश के वरिष्ठ इतिहासकारों और प्रोफेसर हिस्सा लेंगे।
डॉ मित्तल के अनुसार हिस्ट्री सिर्फ हिज-हर स्टोरी होती है। यह इतिहास नहीं है। जबकि इतिहास चारों पुरूषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को बताने वाला साक्ष्य है। हिस्ट्री लेखन हमारे देश की नहीं, बल्कि मुगलकाल की देन है। इसमें दरबारी, राज्यपोषित इतिहासकारों से राजा और राज्य के पक्ष में हिस्ट्री लिखवाई जाती थी।
इसका जीवंत उदाहरण आइना-ए-अकबरी और बाबरनामा हैं। इसके बाद अंग्रेज शासकों ने भी इतिहासकारों से अपने पक्ष में हिस्ट्री लिखवाई और भारतीय इतिहास के स्रोत वेद,पुराण व उपनिषद को मिथ बताया। इतना ही नहीं, अंग्रेजों ने अपनी हिस्ट्री में देश के स्वतंत्रता आंदोलन को एनिमल पॉलिटिक्स बताया है।
इसी तरह अंग्रेज भारत की सनातन परम्परा को किनारे रखकर यह बताते हैं कि आर्य बाहर से आये थे और उन्होंने भारत पर रहने वाले द्रविणो पर हमला किया था। ऐसे तमाम गलत तथ्यों के सच को जनता के सामने उजागर किया जायेगा, जिससे जनता के सामने अपने राष्ट्र का वास्तविक सच सामने आ सके।