बेंगलूरु। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज को घटाकर 8.65 प्रतिशत करने का निर्णय किया है। वित्त वर्ष 2015-16 में यह 8.8 प्रतिशत थी।
इंडियन नैशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस के उपाध्यक्ष अशोक सिंह ने बेंगलूरु में बैठक के बाद कहा, ‘ईपीएफओ के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने वर्तमान वित्त वर्ष में ब्याज दर को 8.65 प्रतिशत करने का निर्णय किया है जो 2015-16 में 8.8 प्रतिशत थी।’ भारतीय मजदूर संघ के महासचिव बृजेश उपाध्याय ने भी कहा कि 2016-17 के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर को 8.65 प्रतिशत रखने का निर्णय किया गया है।
ईपीएफओ के आय के अनुमान के मुताबिक यदि वह 8.8 प्रतिशत का ब्याज मौजूदा वित्तवर्ष में भी देता है तो उसे 383 करोड़ रुपये का घाटा होगा। हालांकि पिछले वित्त वर्ष में 8.8 प्रतिशत का ब्याज देने के बाद ईपीएफओ के पास 409 करोड़ रुपये का अधिशेष बच गया था जिसका प्रयोग वह चाहे तो इस साल भी उतना ही ब्याज देने के लिए कर सकता है।
इसके अलावा यदि ईपीएफओ ब्याज दर को घटाकर 8.7 प्रतिशत भी करता है तो उसे 69.34 करोड़ रुपये अधिशेष बचने का अनुमान है। ईपीएफओ ने वर्तमान वित्त वर्ष में 39,084 करोड़ रुपये की आय होने का अनुमान लगाया है।
सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय ने श्रम मंत्रालय से भविष्य निधि जमाओं पर ब्याज को सरकार की अन्य छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज के अनुसार करने को कहा है। गौरतलब है कि सितंबर में सरकार ने सार्वजनिक भविष्य निधि, किसान विकास पत्र, सुकन्या समृद्धि खाते इत्यादि पर ब्याज दरों को कम कर दिया था।