सिरोही। आदर्श चेरिटेबल इंस्टीटयूट सिरोही की ओर से जिला चिकित्सालय के जनाना वार्ड को गोद लेने के कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत के मौके पर आदर्श क्रेडिट को-आॅपरेटिव सोसायटी के संस्थापक व मार्गदर्शक मुकेश मोदी ने कहा कि रक्त के जरूरतमद रोगियों के लिए खून की हर एक बूंद अमृत का काम करती है।
मोदी ने कहा कि व्हाटस एप पर बनाए गए हम सब एक हैं समुह के साथ रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित करने और रक्तदान करवाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। गिरीश जोशी ने सिरोही के जनाना अस्पताल को गोद लेने की जानकारी देते हुए बताया कि जिस तरह से इस अस्पताल की दुर्दशा थी, उसे सुधारने के लिए आदर्श चेरीटेबल इंस्टीटयूट के सहयोग और समुह के प्रयासों से दुरुस्त करने का प्रयास जारी है। इससे आने वाले दिनों मे इस सरकारी अस्पताल में रोगियों को अधिक से अधिक सुविधाएं दिलाने के लिए कार्य किया जा सकेगा।
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जोशी ने बताया कि रक्तदान को लेकर लोगों में कई भ्रांतियां हैं उसे दूर किया किया जाना भी आवश्यक है। कार्यक्रम के प्रारंभ में गु्रप के अध्यक्ष एडवोकेट मानसिंह देवडा ने सभी गणमान्य लोगों का आभार प्रकट किया। समुह के एडमिन हेमंत पुरोहित ने कहा कि इस समुह का मूल उद्देश्य प्राणी मात्र की सेवा करना है, इसमें आमजन भी सहयोग करें। उन्होंने इसके लिए समुह संरक्षक मोदी के प्रति आभार भी जताया।
गु्रप सदस्य प्रकाश प्रजापति को शव वाहिनी द्वारा 151 से भी अधिक मृतकों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए स्मृति चिन्ह, शॉल व माला पहनाकर सम्मानित किया गया। इसी प्रकार सेवा प्रकल्पों मे अग्रणी रहने वाले आफताब इरफान, डॉ संजीव जैन, सलीम पठान, विक्रमपालसिंह, शरद टांक तथा युवराज सिंह राठौड आदि को भी सम्मानित किया गया।
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कार्यक्रम मे अतिथि के रूप में आए नगर परिषद उप सभापति धनपत सिंह राठौड आदि का भी स्वागत किया गया। इस मौके पर बडी संख्या में गणमान्य लोगों सहित गु्रप के विरेन्द्रसिंह चैहान, सचिव लोकेश खंडेलवाल, एडवोकेट हुनर सिंह, एडवोकेट भंवरसिह, विजय रावल, श्रीमति अंशु वशिष्ठ,हेमलता सिसोदिया, उत्तम चैधरी, कल्पेश जैन, कुलदीपसिंह देवडा, दिलीप डुडी, गणपत सिंह मांडाणी, हरिश मेघवाल, प्रकाश बी माली, सतीश अग्रवाल तथा रविन्द्र पिंटू आदि मौजूद थे।
कितना करते इंतजार्
आयोजन स्थल पर पांडाल शहर के संभ्रांत लोगों से भरा हुआ था, ऐसे में आखिर मुख्यअतिथि का इंतजार करते भी तो कितना। कार्यक्रम शुरू करने से पहले एक घंटा अतिथियों को इंतजार किया, नहीं पहुंचे तो कार्यक्रम शुरू किया। इतना ही नहीं खतम करने से पहले भी उनका इंतजार किया और कार्यक्रम को जैसे तैसे खींचा, लेकिन फिर भी अतिथि नहीं पहुंचे तो कार्यक्रम को समाप्ति की घोषणा करनी पडी। कार्यक्रम समाप्ति के बाद मुख्य अतिथि एवं राज्यमंत्री ओटाराम देवासी पहुंचे तो उन्हें जनाना अस्पताल में करवाए गए कार्यों से अवगत करवाते हुए बेबीकिट वितरित करवाए गए।
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आज जिला चिकित्सालय में एक सवाल हर जुबान पर था कि आखिर कैसी राजनीति कर रहे हैं नेता और आला प्रशासनिक अधिकारी। सवाल यह भी किया कि अपनी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के लिए अपनी ही पार्टी के लोगों को अछूत करने के लिये जनता के हितों को तिलांजली कैसे दे सकते हैं सरकार के दो महत्वपूर्ण अंग। कार्यक्रम समाप्ति के बाद इस बात की भी चर्चा करते दिखे कि पिछले एक साल में राजनीतिक गिरावट के कई काम देखे, लेकिन शनिवार को जो हुआ वह अक्षम्य है।
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यहां आयोजित सामाजिक सरोकार से जिले के सबसे बडे कार्यक्रम में यहां की जनता के वोटों से जीतकर विधायक बने और लालबत्ती सजाए राज्य मंत्री ओटराम देवासी तीन घंटे तक नहीं पहुंचे। कलक्टर, सीएमएचओ और पीएमओ नदारद रहे। यह सभी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, अध्यक्ष और विशिष्ट अतिथि थे। लोग यह समझ गए यह इत्तेफाक तो किसी सूरत में नहीं हो सकता। यह जनता के सेवकों का जनहित के काम में भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा साधने की कुनीयत की ओर इशारा कर रहा है। जिन लोगों को जनाना चिकित्सालय को गोद देने की खानापूर्ति करने थी वह लोग ही मंच से नदारद रहे। नेता और जिम्मेदार अधिकारी यही हालात पैदा करते रहे तो कैसे कोई दानदाता किसी सरकारी संस्थान के उद्धार के लिए कैसे आगे आएगा।
हर आयोजक कार्यक्रम के आयोजन से पूर्व उसमें बनाए जाने वाले अतिथियों से मिलता है, अपने कार्यक्रम के हेतू को उन्हें समझाता है और उसके बाद उसे समय बताकर उसके कार्यक्रम में अतिथि बनाने का प्रस्ताव भी रखता है। किसी भी कार्यक्रम में सहमति के बिना अतिथि नहीं बनाया जाता। इसके बावजूद राज्यमंत्री ओटाराम देवासी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आने की हामी भरने के बाद तीन घंटे तक क्यों नहीं पहुंचे। जिला कलक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और कार्यक्रम परिसर में ही मौजूद जिला चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी इस कार्यक्रम से नदारद क्यों रहे।
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ये वो लोग हैं जिन पर जिले के लोगों ने यह भरोसा जताया था कि यह जिले में बदहाल चिकित्सा व्यवस्था के लिए कुछ नया करेंगे। सभी एक साल में जिला चिकित्सालय के लिए एक ईंट जोडने का काम नहीं कर पाए और जब कोई दानदाता जिला चिकित्सालय के उद्धार के लिये आगे आया तो इस तरह का व्यवहार करके वहां पर अतिथि के रूप में शामिल होने भी नहीं पहुंचे। यदि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को उनके होने का अहंकार आ गया है तो निस्संदेह सिरोही की जनता को उनके चयन पर अफसोस जरूर हो रहा होगा और पाण्डाल में यह अफसोस नजर भी आया। वैसे मंत्री के पहुंचते ही कार्यक्रम स्थल पर प्रवेश करते ही आयोजको की ओर से कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा कर दी गई और कार्यक्रम को शुरू करने के लिए भी इनका इंतजार नहीं किया गया। यह इस बात का संदेश था कि समाज हित से जुडे इस काम में नहीं पहुंच कर जनता के मान के उछालने का शौक उन्हें है तो जनता को भी उन्हें नकारने का टशन और अधिकार है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि तीन घंटे तक कार्यक्रम में मंत्री के आने का इंतजार कर रहे पाण्डाल में उपस्थित शहर के संभ्रांत नागरिकों ने भी मंत्री का इंतजार किए बिना कार्यक्रम शुरू करने और समाप्ति की घोषणा किये जाने के इस निर्णय को सराहा भी। आखिर जनता ही तो जनार्दन है और नेताओं की भाग्यविधाता भी, फिर जिला चिकित्सालय में तो इसी जनता का दरबार सजा था सेवकों के अहंकार के लिए यहां कोई जगह भी नहीं थी। नेताजी और अधिकारियों के अहंकार का कद इतना बडा दिखा कि वो अपने अंधभक्तों के सम्मान को भी धूल-धूसरित करता दिखा। इस इंतजार पर यही पंक्तियां याद आ रही हैं कि….
तुम तो शमा-ए- महफिल थे, तुम्हे तो जरूर आना था।
कब तक फना होंगे परवाने तुम्हारा इंतजार करते-करते।