उज्जैन। रविवार को दीपावली पर्व शहर में धूमधाम से मनाया गया। शहरवासियों ने अपनी सुविधा के मुहूर्त में महालक्ष्मी का पूजन किया।
सबसे बड़ी बात यह थी कि इस बार शहर में दीपावली का पर्व पूर्ण रूप से ‘स्वदेशी’ था। घरों की साज सज्जा हो या आतिशबाजी या फिर महिलाओं द्वारा किए गए श्रृंगार में शामिल चूडिय़ां-पाटले आदि, लोगों ने भरसक प्रयास किया कि ये चीजें देश में ही निर्मित हों।।
गत वर्ष तक कहीं न कहीं चीनी सामान की मिलावट दिख जाती थी। घरों के बाहर लगनेवाली विद्युत लडि़य़ों पर तो चीनी आयटमों ने ही कब्जा कर लिया था। इस बार यह भी देखने में आया कि जिन घरों पर चीनी आयटम थे, उन्होंने उपयोग नहीं किए।
भले ही नया न खरीदा हो लेकिन चीनी आयटमों से परहेज किया। ऐसे उदाहरण भी मिले कि परिवारों ने बिजली की लडिय़ा नई नहीं खरीनदने के चलते लगाई ही नहीं। दीपों की कतारें सजाकर मां महालक्ष्मी का स्वागत किया।
शहर में सुबह से ही चहल पहल दिखाई दी। रविवार का दिन होने के बावजूद सडक़ों पर ऐसा लग रहा था मानो आम दिन हो। दुकानें समय पर खुलीं, वहीं पूजा का क्रम चलता रहा। पण्डितों की भी भागमभाग रही। एक से दूसरी दुकान पहुंचकर पूजा करवाने का क्रम रात्रि तक चलता रहा। इधर बाजार में रविवार को भी खरीदी होती रही।
शहर में रविवार सुबह दूध तलई स्थित फूल मण्डी में गुलाब 250 रुपए प्रति किग्रा बिका। इधर गेंदा जमकर शरमाया। गेंदे के भाव थोक में 10 रुपए प्रति किग्रा थे। उत्पादक भी इस बात को लेकर दंग रह गए कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो इतनी मात्रा में गेंदा आ गया कि लेवाल नहीं मिले।
बाहर के व्यापारियों ने खरीदी कर ली, उसके बाद भी गेंदा बच गया। बाजार में शाम को गेेंदे की लडिय़ां 15 रुपए प्रति किग्रा तक भाव गिर गया था। वहीं गुलाब मण्डी में 250 रुपए बिकने के बाद बाजार में 400 रुपए प्रति किग्रा तक गया।