नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कलिखो पुल की पत्नी दांगविम्साई पुल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इसे वापस लेने की अनुमति दी।
मामले की सुनवाई के दौरान दांगविम्साई के वकील दुष्यंत दवे ने जजों से कहा कि उन्हें इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच से उन्होंने कहा कि जब चीफ जस्टिस इस मामले में अभियुक्त हों तो इसे प्रशासनिक तरीके से निपटाना चाहिए था। इस मामले में राष्ट्रपति के खिलाफ भी आरोप हैं। लिहाजा इस कोर्ट को सुनवाई नहीं करनी चाहिए।
दुष्यंत दवे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज ने मामले को प्रभावित करने के लिए संपर्क किया था। दुष्यंत दवे ने जब बिरला सहारा मामले को उठाया तो जस्टिस यूयू ललित ने आपत्ति जताई और कहा कि आप उसी मसले पर दलील पेश कीजिए जो लिस्टेड है।
जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि आप अपना पत्र वापस ले सकते हैं लेकिन हम इस मामले पर आदेश पारित करेंगे। उसके बाद जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने फाइल बंद कर दी और याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली।
आपको बता दें कि स्व. कलिखो पुल की पत्नी ने अपने पति की मौत के मामले में एफआईआर दर्ज करने और सीबीआई जांच कराने की मांग कराने को लेकर चीफ जस्टिस जेएस खेहर को पत्र लिखा था। स्व. पुल ने पिछले साल 9 अगस्त को खुदकुशी कर ली थी।
उनकी पत्नी ने पिछले हफ्ते एक प्रेस कांफ्रेंस कर चीफ जस्टिस से सुसाइड नोट में लगाए गए आरोपों के आधार पर एफआईआर दर्ज करने की अपील की थी। स्व. कलिखो पुल ने अपने 60 पन्नो के सुसाइड नोट में कई सीनियर जजों के नाम लिए हैं। इनमें से दो रिटायर भी हो चुके हैं, जबकि दो अभी सेवा में हैं।
इस सुसाइड नोट में पुल ने बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। सुसाइड नोट के मुताबिक राज्य में राष्ट्रपति शासन को लेकर स्व. कलिखो पुल और उनके सहयोगियों से संपर्क किया गया और फैसला पुल के पक्ष में रखने के लिए करोड़ों की घूस मांगी गई थी। उनकी पत्नी ने चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में बिका हुआ कोर्ट शब्द का इस्तेमाल किया था।