आजमगढ़। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव की लम्बी बीमारी के बाद असमय मौत होने पर उनके पैतृक गांव और जनपद में शोक की लहर है।
उनका जन्म 01 जुलाई, 1928 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़, जिले के गांव आंधीपुर (अम्बारी) में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। आपका बचपन खेत-खलिहानों से होकर गुजरा।
उनकी माता भागवन्ती देवी जी धार्मिक गृहिणी थीं और पिता गया प्रसाद जी महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ॰ राममनोहर लोहिया के अनुयायी थे। उन्होंने 1946 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से साइंस की उपाधि अर्जित की।
सन् 1947 में एंग्लो बंगाली इंटर कालेज भेलूपुर, वाराणसी में हिंदी प्रवक्ता का पदभार ग्रहण किया। सन् 1953 में प्रवक्ता पद त्याग कर गरीब और कमजोर वर्गों को न्याय दिलाने के उद्देश्य अपने गृह जनपद आजमगढ़ में वकालत शुरू की और 1962 में अपने समाजवादी चेतना के प्रसार को लक्ष्य रखकर राजनीति यात्रा की शुरुआत की।
1975 में आपातकाल लागू होने पर आपने अभियुक्त के स्वतंता और लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए जेल की यात्रा की तथा 1977 में संसदीय चुनाव में आजमगढ़ से संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव जीते। ईमानदारी और निष्ठा के कारण 23 जून 1977 को उनको उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री चुना गया।
1977 में ही एटा जनपद के निधौली कला से विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए। 1988 में राज्यसभा सदस्य चुने गए, सन 2002 में पुनः फूलपुर विधानसभा से विधायक चुने गए।
8 सितंबर 2011 को मध्यप्रदेश का राज्यपाल पद पर नियुक्त किया गया। 7 सितंबर, 2016 को राज्यपाल पद से कार्यमुक्त होने के बाद लखनऊ में रह रहे थे। मृत्यु का समाचार सुनते ही आजमगढ़ जनपदवासियों और उनके परिवारजनों में शोक की लहर दौड़ गई।
अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि उनका अंतिम संस्कार उनके गृह जनपद आजमगढ़ में होगा या प्रदेश की राजधानी लखनऊ में होगा।
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