नई दिल्ली। कोयला ब्लॉक आवंटन के एक मामले में हुई अनियमितता के लिए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को शनिवार को यहां एक अदालत ने तीन साल कारावास की सजा सुनाई।
विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने कोड़ा के करीबी सहयोगी विजय जोशी, पूर्व कोयला सचिव एच. सी. गुप्ता, झारखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव ए.के.बसु को भी तीन-तीन साल कारावास की सजा सुनाई।
अदालत ने कोड़ा और जोशी पर 25-25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। इसके साथ ही गुप्ता और बसु दोनों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
अदालत ने 13 दिसंबर को कोड़ा, जोशी, गुप्ता, बसु और निजी कंपनी विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआईएसयूएल) को भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के तहत आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के मामले में दोषी करार दिया था। अदालत ने वीआईएसयूएल पर 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।
अदालत का यह फैसला झारखंड के राजहरा उत्तर कोयला ब्लॉक को वीआईएसयूएल को आवंटित करने से संबंधित है। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने अदालत से मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद कोड़ा और अन्य को अधिकतम सात साल कैद की सजा देने की मांग की थी।
एजेंसी ने कहा कि उच्च पद पर काबिज वे लोग अपराधी हैं और उनके पद और आचरण को देखते हुए उनके प्रति उदारता दिखाने का कोई पर्याप्त आधार नहीं है। हालांकि, दोषियों ने अदालत से नरमी दिखाने का अनुरोध किया।
न्यायाधीश ने वीआईएसयूएल के निदेशक वैभव तुलस्यान, दो लोकसेवकों बसंत कुमार और बिपिन बिहारी सिंह और चार्टर्ड अकाउंटेंट नवीन कुमार तुलस्यान को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
सीबीआई ने कोड़ा और अन्य पर वीआईएसयूएल को कोयला ब्लॉक आवंटित करने के लिए साजिश रचने का आरोप लगाया था।
सीबीआई ने दावा किया कि वीआईएसयूएल ने राजहरा उत्तर कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए आठ जनवरी, 2007 को आवेदन किया था, हालांकि झारखंड सरकार और इस्पात मंत्रालय ने इस मामले की सिफारिश नहीं की, मगर एक अनुवीक्षण समिति ने कंपनी को कोयला ब्लॉक आवंटित कर दिया।
एजेंसी ने कहा कि गुप्ता उस समय अनुवीक्षण समिति के अध्यक्ष थे, और उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से तथ्यों को छुपाया, जिनके पास उस समय कोयला मंत्रालय का भी प्रभार था। झारखंड ने कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए वीआईएसयूएल की सिफारिश नहीं की थी।