परीक्षित मिश्रा -सिरोही/माउण्ट आबू। माउण्ट आबू वन्यजीव अभयारण्य में 15 अप्रेल को कहां-कहां पर आग सुलग रही है, नासा के एक्वा और टेरा सेटेलाइट से प्राप्त रिपोर्ट को फाॅरेस्ट सर्वे आॅफ इंडिया ने जारी किया है। 15 अप्रेल की रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार की रात को करीब 2.36 बजे तक राजस्थान में करीब 125 फाॅरेस्ट फायर स्पाॅट सेटेलाइट में नजर आए हैं।
इनमें से एसएनपीपी मोड में 69 स्पाॅट और एमओडीआईएस मोट में करीब 10 स्पाॅट सिरोही जिले में हैं। रिपोर्ट में इसकी लेटीट्यूड और लाॅंन्गिट्यूड रिपोर्ट भी दी गई है। जो अधिकांशतः माउण्ट आबू वन क्षेत्र में आ रही हैं।
-सबसे ज्यादा वन संपदा का नुकसान दावानल से
यह माना जाता रहा है कि वन संपदा को सबसे ज्यादा नुकसान दावानल से पहुंचता है। इसी कारण फाॅरेस्ट सर्वे आॅफ इंडिया सबसे ज्यादा ध्यान भारत के जंगलों में फैल रही दावानल पर लगाया है। इसके लिए 2004 से ही नासा के सेटेलाइट से नजर रख रहा है।
एक कदम और आगे बढाते हुए 23जनवरी 2017 से फाॅरेस्ट फायर अलार्म सिस्टम शुरू किया है। इसके माध्यम से देश के सभी राज्यों में फैले वन क्षेत्रों में जिलों, रेंज, ब्लाॅक और यहां तक की बीट में तैनात वनकर्मी को भी उनके क्षेत्र में जंगल में लगी आग की सूचना देने के लिए एसएमएस अलर्ट भेजा जाता है।
इसके लिए संबंधित वनकर्मी को एफएसआई के फायर अलार्म सिस्टम में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। देश में इस सिस्टम में सबसे ज्यादा 2300 से ज्यादा पंजीयन महाराष्ट्र के वन अधिकारियों व वन कर्मियों ने करवा रखा है। राजस्थान में ऐसे पंजीयन की संख्या 100 से भी कम है।
भारत में करीब 10623 मोबाइल इस सिस्टम के तहत पंजीकृत हो रखे हैं। इन पर तीन महीने में ही करीब 1 लाख 20 एसएमएस भेजकर फायर प्वाइंट्स की सूचना दी जा चुकी हैं।
-इनका कहना है…
एफएसआई के फारेस्ट फायर अलार्म सिस्टम के तहत हमने भी पंजीयन करवाया हुआ है। माउण्ट आबू के जंगलों में लगी आग रिपोर्ट उनसे हमें मिल रही है। इससे आग पर काबू पाने में काफी मदद मिल रही है।
केजी श्रीवास्तव
एसीएफ, वन्यजीव अभयारण्य
माउण्ट आबू।