भारतीय नारी की पहचान है बिंदी, क्योंकि यह उनके सुहाग का प्रतीक मानी जाती है। बदलते दौर के साथ इन्हीं बिंदियों का रंग,रूप,ढंग सब बदला है। यहां तक कि सिम्पल सी दिखने वाली यह बिंदियां अब डिजानर भी होने लगी है।
ऐसे में नारी के सौंदर्य का प्रतीक बिंदी सिर्फ सौंदर्य ही नही बढ़ाती बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी होती है। इससे जहां एकाग्रता बढ़ती है, वही यह चहरे की मसल्स को भी मजबूत करती है।
बिंदी में सिमटे कुछ रोचक
-
चेहरे के मसल्स को मजबूत करती है जिससे कर झुर्रियों का आना कम होता है- बिन्दी लगाने से ये चेहरे के मसल्स में रक्त का प्रवाह बढ़ता है इससे मसल्स लचीले होते हैं और झुर्रियां कम होती हैं।
-
बिंदी को दो भौंह के बीच लगाया जाता है। जहां शरीर के सभी नसें एक जगह मिलते हैं। इसको अग्नि चक्र कहते हैं। इस जगह को तृतीय नेत्र भी कहते हैं। बिन्दी लगाने से मन शांत और तनाव कम होता है। इसलिए बिंदी एकाग्रता का केंद्र माना जाता है।
-
जबकि एक्यूप्रेशर के अनुसार माथे के इस बिन्दु को मसाज करने से सिरदर्द से तुरन्त राहत मिलती है, क्योंकि इससे नसों और रक्त कोशिकाओं को आराम मिलता है।
-
साइनस से आराम- इस प्वाइंट को मसाज करने पर रक्त का संचालन नाक के आस-पास अच्छी तरह से होने लगता है जिससे साइनस के कारण सूजन कम हो जाता है और बंद नाक खुल जाता है। इससे बहुत आराम मिलता है।
-
भौंह के बीच का ये हिस्सा बेहद संवेदनशील होता है तनाव होने पर हमारा यही हिस्सा दुखने लगता है। बिंदी इसको शांत करके क्षति को पूर्ण करने में मदद करती है।
-
बिंदी लगाने से चेहरा, गर्दन, पीठ और शरीर के ऊपरी भाग के मसल्स को आराम मिलता है जिससे अनिद्रा की बीमारी से राहत मिलती है।
-
बिंदी लगाने वाले प्वाइंट को मसाज करने से चेहरे के नसें उत्तेजित हो जाती हैं और एक तरफ के चेहरे का पक्षाघात के लक्षण से राहत मिलती है। आयुर्वेद में इसको ‘शिरोधरा’ कहते हैं। इसमें 40-60 मिनट तक मेडिकेटेड ऑयल को कपाल के इस बिन्दु में मसाज किया जाता है।
-
माथे के मध्य का ये केंद्रबिन्दु की नसें आँखों के मांसपेशियों से संबंधित होते हैं जो अगल-बगल देखने और स्पष्ट देखने में मदद करती हैं।
-
यहां तक कि जो नस चेहरे के मसल्स को उत्तेजित करती है वह कान के भीतर के मसल्स से सुदृढ़ करके कान को स्वस्थ रखने में मदद करती है।