नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने दहेज से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर पत्नी अपने पति और उसके परिवार पर दहेज का झूठा मुकदमा करती है तो ऎसी स्थिति में पति को तलाक लेने का अधिकार होगा।
न्यायाधीश विक्रमजीत सेन और न्यायाधीश प्रफुल्ल चंद पंत की खंडपीठ ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए से संबंधित एक मामले में के. श्रीनिवास और के. सुनीता को पति-पत्नी का रिश्ता खत्म करने की इजाजत दे दी।
न्यायालय ने कहा कि सुनवाई के दौरान हमने स्पष्ट तौर पर पाया कि पत्नी की तरफ से एक झूठी आपराधिक शिकायत दर्ज कराई गई। इस तरह की शिकायत वैवाहिक जीवन में हो रही क्रू रता को सामने ला देती है। उसने श्रीनिवास और सुनीता को अलग होने पर सहमति जताई।
यह पूरा मामला 20 वष्ाü पुराना है। तीस जून 1995 को पत्नी ने ससुराल छोड़ दिया और 14 जुलाई 1995 को पति ने क्रू रता और रिश्ते में दोबारा सुधार की संभावना न हो पाने को आधार बनाते हुए तलाक का मुकदमा दाखिल किया था।
इस मुकदमे के जवाब में पत्नी की ओर से पति और ससुराल पक्ष के सात लोगों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और दहेज निरोधक कानून के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी। पत्नी की इस शिकायत पर पति को परिवार सहित जेल जाना पड़ा।