सबगुरु न्यूज उदयपुर। उदयपुर के प्रसिद्ध भारतीय लोक कला मण्डल के रंगमंच पर राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर एवं भारतीय लोक कला मंडल द्वारा दी परफोरमर्स के सहयोग से नाटक फंदी का प्रभावी मंचन हुआ।
संस्था के सहायक निदेशक गोवर्धन सामर ने बताया कि राजस्थान संगीत नाटक अकेडमी, जोधपुर की मासिक नाट्य योजना के तहत मंचित नाटक ‘‘फंदी’’ की प्रभावशाली प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होने बताया की नाटक फंदी एक ऐसे मुजरिम की कहानी है जो अपने पिता से बहुत प्यार करता है और अपने छोटे से परिवार के साथ गरीबी की स्थिति में भी खुश रहता है, परन्तु नियति के आगे किसकी चली है।
फंदी के पिता बीमार हो जाते हैं, फंदी अपने पिता के उपचार के लिए किसी प्रकार की कोई कमी नही रखता है, यहां तक कि वह अपनी पत्नी के गहने बेच देता है, बर्तन बेच देता है और साहूकार से बहुत ज्यादा ब्याज पर ़ऋण लेता है, परन्तु उसके पिता ठीक नहीं होते। डाॅक्टर उन्हें जीवित रखने के लिए प्रतिदिन एक दर्द निवारक इंजेक्शन लगाने को कहता है। वह इंजेक्शन महंगा होता है।
फंदी हर रोज मेहनत मजदूरी करके उस इंजेक्शन की व्यवस्था करता है, परन्तु जब भी वह ऐसा नहीं कर पाता तो उसके पिता दर्द सहन नहीं कर पाते और मृत्यु देने की प्रार्थना करते हैं। एक दिन ऐसा होता है कि फंदी इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं कर पाता। उसके पिता उससे मृत्यु देने (अर्थात् मार देने की प्रार्थना करते हैं) और फंदी पिता की असहनीय पीड़ा के कारण उनका गला दबा देता है।
उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है और पैसा नहीं होने के कारण वह कोई वकील नहीं कर पाता। ऐसे में सरकार द्वारा एक वकील दिया जाता है, जिसे कई सालो में कोई केस नहीं मिला है और न ही वह अपनी जिंदगी में कोई मुकदमा जीत पाया है। इसलिए वो फंदी के साथ ही मुकदमे की कोर्ट में पेशी की रिहर्सल करता है, परन्तु कोर्ट में कुछ बोल नही पाता। अन्त में वह एक अन्य वकील को अपनी ओर से पैरवी के लिए तय करता है।
इस नाटक के लेखक डाॅ. शंकर शेष व निर्देशक डाॅ. लईक हुसैन हैं। मुख्य पात्रों में राहिल भारद्वाज फंदी बने हैं और कविराज लईक वकील की भूमिका में रहे। मंच प्रबन्धक मयंक पंड्या, प्रकाश प्रबंधन राजकुमार मोंगिया, ध्वनि रवि एवं सेट में जयेश सिंधी का योगदान रहा।