मुंबई। राकेश रोशन के बैनर में बनी फिल्म काबिल में रितिक रोशन और यामी गौतम ने अंधे व्यक्तियों की भूमिकाएं निभाई हैं।
रितिक और यामी के कैरिअर में ये पहला मौका है, जब उनको इस तरह की भूमिकाएं करने का मौका मिला है, लेकिन बालीवुड का इतिहास ऐसे कलाकारों से भरा पड़ा है, जिन्होंने फिल्मों में अंधे व्यक्ति के किरदारों को निभाया और जनता की वाहवाही लूटी है। इन किरदारों को कभी बेहद संजीदगी के साथ पेश किया गया, तो कभी कॉमेडी फिल्मों में भी इनका इस्तेमाल हुआ।
इस दौर की बात करें, तो पुरुष कलाकारों में अमिताभ बच्चन से लेकर नसीरुद्दीन शाह, परेश रावल, संजय दत्त, अक्षय कुमार और नायिकाओं में काजोल, ऐश्वर्या राय से लेकर रानी मुखर्जी, तक इन किरदारों को निभा चुके हैं।
नसीरुद्दीन शाह को कौन भूल सकता है, जिन्होंने साई परांजपे की फिल्म स्पर्श में अंधे स्कूल टीचर के किरदार में दर्शकों को न सिर्फ मंत्रमुग्ध कर दिया था, बल्कि इस फिल्म के लिए उन्होंने बेस्ट एक्टर का नेशनल एवार्ड भी जीता था।
संजय लीला भंसाली की फिल्म ब्लैक में अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी ने ऐसे ही किरदारों में वाहवाही लूटी थी। 90 के दशक में के विश्वनाथ की फिल्म संगीत में माधुरी ने एक अंधी नृत्यांगना का रोल किया था। एेसे ही कई और फिल्मों में कलाकारों द्वारा निभाया गया यह रोल दर्शकों की वाहवाही लूटने में कामयाब रहा।
पुराने दौर का जिक्र करें, तो 1964 में आई सत्येन बोस की फिल्म दोस्ती में दो ऐसे दोस्तों की कहानी थी, जिनमें से एक अंधा और दूसरा अपाहिज था। सुशील कुमार सावंत ने इस फिल्म में अंधे दोस्त की भूमिका की थी।
फिल्म बैराग में ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार ने अंधे व्यक्ति के किरदार में छाप छोड़ी थी, तो मर्डर मिस्ट्री कातिल में संजीव कुमार ने इसी तरह का रोल किया था। फिल्म चिराग में आशा पारेश ने सुनील दत्त की अंधी पत्नी का रोल किया था। इसी तरह बरसात में राखी और अनुराग में मौसमी चटर्जी की भूमिका ने दर्शकों का दिल जीता था।
ऐसा नहीं है कि इस तरह की भूमिकाएं सिर्फ संजीदा फिल्मों में ही रहीं। कॉमेडी फिल्मों में भी इन किरदारों का प्रयोग हुआ। इंद्र कुमार की कॉमेडी फिल्म प्यारे मोहन में फरदीन खान ने ऐसा रोल किया था, तो हम हैं कमाल की कामेडी फिल्म में अनुपम खेर ने अंधे व्यक्ति का रोल किया था, जबकि उनके साथी कादर खान ने बहरे व्यक्ति की भूमिका निभाई थी।