परीक्षित मिश्रा- आबूरोड। पर्यटन स्थल माउण्ट आबू के बेस कैम्प आबूरोड की तलहटी के अलावा जिले की पिण्डवाडा, सिरोही व रेवदर तहसीलों के गांवों की जमीनों का नसीब गुरुवार को तय किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों ओर बफर जोन तय करना है। इसमें ईको सेंसेटिव जोन की तरह कई गतिविधियों को नियंत्रित किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और रिजर्व फाॅरेस्ट के चारों एक से दस किलोमीटर तक की परिधि में बफर जोन स्थापित करने के निर्देश दिए हुए हैं। जहां पर यह नोटिफाइड नहीं किया गया है वहां पर 2006 से ही दस किलोमीटर परिधि में बफर जोन लागू है और वहां पर ईको सेंसेटिव जोन के प्रावधानानुसार ही काम किया जा सकता है। आबूरोड, सरूपगंज, कृष्णगंज, अनादरा, करौटी समेत आबूरोड सेंचुरी के चारों ओर के क्षेत्र में कानूनानुसार यह नियंत्रण लागू है क्योंकि राज्य सरकार द्वारा अभी तक यहां पर बफर जोन को नोटिफाइड नहीं किया गया है।
-जीरो किलोमीटर तो नहीं होगा बफर जोन
माउण्ट आबू की तलहटी और इसके निकटतम गांवों में सबसे ज्यादा जमीनों की बिक्री बूम के दौरान हुई हैं। ऐसे में नेता और काॅलोनाइजर्स सभी आबूरोड के तलहटी क्षेत्र में माउण्ट आबू सेंचुरी की सीमा पर ही काफी निर्माण होने की बात कहते हुए यहां पर बफर जोन जीरो किलोमीटर रखने पर अडे हुए थे। पूर्व में जिला कलक्टर बन्नालाल की अध्यक्षता वाली समिति ने इसे बफर जोन को जीरो किलोमीटर करके भेजा था, जिसे केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने खारिज कर दिया।
-जीरो करेंगे तो महाराष्ट्र की तरह झेलनी होगी नाराजगी
हाल ही में महाराष्ट्र के संजय गांधी नेशनल पार्क और दमन दीव में सेंचुरी क्षेत्र के चारों ओर बफर जोन को शून्य से चार किलोमीटर तक करके केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया था। सितम्बर, 2017 में इस नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए इसे रि-नोटिफाइड करने को कहा है।
यदि माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों ओर भी इसी तरह से शून्य किलोमीटर बफर जोन किया तो सरकार और प्रशासन दोनों को फिर से इसके लिए मेहनत करनी पड सकती है। सूत्रों के अनुसार वैसे केन्द्र सरकार ने भी सभी राज्यों के वन सचिवों को बफर जोन शून्य नहीं किए जाने के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं।
-क्या होगा बफर जोन होने पर
माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों ओर बफर जोन होने से माइनिंग व पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों पर ही पाबंदी होगी। आवास, कृषि आदि की गतिविधियां नियंत्रित रूप से की जा सकती है। इसे नियंत्रित करने के लिए एक माॅनीटरिंग कमेटी होगी जिसकी अनुमति से यह कार्य किए जा सकते हैं।
-इनका कहना है….
बफर जोन के लिए गुरुवार को मीटिंग रखकर इसकी सीमा तय कर दी जाएगी। न्यायिक कारणों से इसे शून्य किलोमीटर नहीं किया जाएगा। पांच सौ मीटर तक करने की कोशिश की जाएगी।
संदेश नायक
जिला कलक्टर, सिरोही।