नई दिल्ली। वसुधैव कुटम्बम की संकल्पना को पूरी तरह से मुस्लिम धर्म ग्रंथ कुरान से समान बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि दोनों धर्मों में मानवता का संदेश देने की बात की गई है।
सम्मेलन में शामिल होने वाले वैश्विक सूफियों सहित अतिथिगणों का स्वागत करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पूरा विश्व एक परिवार की तरह है। सम्मेलन में दुनिया भर से आए कई सूफी संतों ने हिस्सा लिया।
राजधानी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित अतंरराष्ट्रीय सूफी सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने गुरुवार को कहा कि हमारे देश में कई सूफी दरगाहो का होना यह साफ संकेत करता है कि समूचे विश्व में मानवता का संदेश यहीं से दिया जा सकता है।
भारत को शांति एवं समृद्दि की संगम वाली धरती बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मध्यकाल से ही कई सूफियों ने यहां आकर विश्व को शांति, सहिष्णुता एवं मानवता का संदेश दिया है।
इस कार्य के लिए मुइनुद्दीन चिश्ती, निजामुद्दीन औलिया सहित अमीर खुसरो की उपलब्धियों का भी जिक्र पीएम मोदी ने किया। सूफी संतों को नूर कहते हुए उन्होंने कहा कि इन्होंने हमेशा से विश्व को शांति सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया है।
हिन्दू एवं मुस्लिम संस्कृति एवं भाषा अलग-अलग होने के बावजूद मोदी ने कहा कि अगर दोनों एक हो जाएं तो पूरे विश्व में मानवता का संदेश देने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है।
इस्लामी संस्कृति एवं सभ्यता की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पंद्रहवी शताब्दी से इसने एशियाई, अफ्रीकन, सहित दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र में मानवता का संदेश देने के अपने राष्ट्र की महत्ता को बनाए रखा है।
सूफी संदेश को इसी विचारधारा से जोड़ते हुए मोदी ने कहा कि मध्य एशियाई क्षेत्रों सहित दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में फैल रही हिंसा को रोकने में सूफी संदेश एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
सूफी फोरम को शांति, प्रेम देने वाली एक प्रमुख संस्था बताते हुए मोदी ने कहा कि वर्तमान में यह सही समय है कि सूफियों के माध्यम से पूरा विश्व भाईचारे के रुप में एक साथ जोडे।
विश्व में शांति एवं भाईचारे का संदेश देना ही सूफियों का एक मात्र मकसद बताते हुए मोदी ने कहा कि सभी मानव जब एक स्त्रोत से आते है, तो सूफियों को उन्हें एक साथ जोड़ने में मह्तवपूर्ण योगदान निभा सकते है।
सूफी संतों का सिख गुरुओं से समानता बताते हुए मोदी ने कहा कि लंगर शब्द का होना यह संकेत करता है कि बीमार, भूखे को खाना पीना देना ही दोनों धर्मों का एक मात्र लक्ष्य है।