कोलकाता। विख्यात लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता, वंचितों व आदिवासियों की मसीहा महाश्वेता देवी का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ केवडातल्ला शमशान घाट में कर दिया गया।
90 वर्षीया लेखिका का निधन गुरुवार दोपहर करीब सवा तीन बजे कोलकाता के एक नर्सिंग होम में हो गया था। वह लंबे समय से अस्वस्थ चल रही थी। विगत 22 मई को उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।
शुक्रवार सुबह पौने नौ बजे बजे उनका शरीर महानगर के रवीन्द्रसदन में आम लोगों के दर्शनार्थ रखा गया। दिन के बारह बजे राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी श्रद्धांजलि अर्पित की।
लेखिका के शव पर तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल राय, वामफ्रंट के चेयरमैन विमान बसु, माकपा नेता सूर्यकांत मिश्र, राज्य सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी, अमित मित्र, फिरहाद हकीम सहित अन्य नेतााओं ने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
पौने एक बजे सीधे शव केवडातल्ला शमशान घाट ले जाया गया। अंतिम संस्कार महाश्वेता की एकमात्र पौत्र तथागत भटटाचार्य ने किया।
ज्ञानपीठ, रेमन मैगसेसे, पदमश्री, पदमविभूषण से सम्मानित महाश्वेता के निधन से समूचा साहित्यिक और सांस्कृतिक जगत शोकमग्न है।
महाश्वेता का जन्म 14 जनवरी 1926 को बंगलादेश की राजधानी ढाका में हुआ था। उनके पिता मनीष घटक बांग्ला भाषा के प्रसिद्ध लेखक थे। जानेमाने फिल्म निर्देशक ऋत्विक घटक उनके चाचा थे।
महाश्वेता ने शांतिनिकेतन, विश्वभारती व कलकत्ता विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। कलकत्ता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एमए करने के बाद कुछ समय तक अध्यापन की। उसी समय उन्होंने साहित्यिक लेखन भी शुरु की। बाद में वह लेखिका के रुप में प्रसिद्ध हुई।
बांग्ला भाषा की वह एकमात्र लेखिका हैं जिनकी लगभग रचनाओं का हिन्दी व अन्य भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उनकी चुनिंदा कृतियों में अक्लांत कौरव, अग्निगर्भ, आदिवासी कथा, हजार चौरासी की मां, चोटी मुंडा और उसका तीर, जंगल के दावेदार, जकडन आदि है।