कोलकाता। नोटबंदी के कारण आम लोगों को हो रही परेशानी के मद्देनजर पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने आज (28 शनिवार) को सुझाव दिया कि अब कठिनाइयां झेल रहे लोगों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार को अप्रत्यक्ष कर की दरों में कमी कर देनी चाहिए।
चिदंबरम ने कहा, “कर कटौती के लिए अप्रत्यक्ष कर सही है। आप सेवाकर, उत्पादकर और सीमा शुल्क में कटौती कर सकते हैं। अप्रत्यक्ष करों में कोई भी कटौती का लाभ लाखों लोगों को मिलेगा।”
उन्होंने कहा, “एक प्रत्यक्ष कर में कटौती का लाभ बहुत कम लोगों- 25 से 50 लाख लोगों से अधिक लोगों को नहीं मिलेगा। अप्रत्यक्ष कर में कटौती का लाभ देश के करोड़ों लोगों को मिलेगा और अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करेगी।”
चिदंबरम ने आगे कहा, “अब आपको इस देश के लोगों की कठिनाइयों और परेशानियों को दूर करना है।” उन्होंने कहा कि नोटबंदी ने देश की आर्थिक विकास दर को कम से कम एक प्रतिशत प्रभावित किया है।
उन्होंने सुझाव दिया कि वर्तमान सरकार को राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के पथ पर बने रहना चाहिए। यानी राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत के नीचे रहना चाहिए। चिदंबरम ने कहा, “चालू खाता का घाटा 1 से 1.5 प्रतिशत के बीच और सीपीआई मुद्रास्फीति (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति) 5 फीसदी के नीचे रहना चाहिए. राजकोषीय स्थिरता बहुत आवश्यक है। क्या आप राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के मार्ग से भटक रहे हैं?”
उन्होंने कहा, “अगर आज मैं देश का वित्तमंत्री होता तो अप्रत्यक्ष करों में कटौती कर दी होती।” कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि नोटबंदी से निवेश और कर प्रवर्तन विभागों की विस्तृत पहुंच प्रभावित हुई है।