बीमारियों का डर तो हर पल रहता हैं, हाइपोथाइराइड एक चयापचय विकार (Metabolic Disorder) है। थाइराइड ग्रंथि के कार्य के सभी पहलुओं जैसे आयोडीन को थाइराइड हार्मोन में बदलने के लिए ग्रंथि में आयोडीन के संग्रह कार्य को उत्तेजित करने तथा हार्मोन के निर्माण और रक्त परिसंचरण में उसके प्रवाह को टीएसएच (TSH) हार्मोन प्रभावित करता है।
आज हम आपको हाइपोथाइराइड के बारे में जानकारी के साथ-साथ इसके उपाय, कारण व लक्षण बताएंगे। इस जानकारी से आप को काफी फायदा होगा।
क्या है हाइपोथाइराइड (About Hypothyroid in Hindi)
डॉक्टरों के अनुसार गले में पाए जाने वाली ग्रंथि थायरॉइड से निकलने वाला हार्माेन थायरॉक्सिन हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होता है। लेकिन अगर किसी वजह से इस हार्मोन का उत्पादन कम या ज्यादा होने लग जाए तो थायरॉइड की समस्या हो जाती है। थायरॉक्सिन का उत्पादन कम होने पर व्यक्ति को हाइपोथायरॉइड (Hypothyroid) और उत्पादन अधिक होने पर हाइपरथायरॉइड (Hyperthyroid) की समस्या हो जाती है।
हाइपोथाइराइड के लक्षण
इसकी अधिकता होने पर अवटु अतिक्रियता हो जाती है जिसमें नेत्रोत्सेधी गलगण्ड हो जाता है।
कमजोरी महसूस होना (Weakness in Body)
ठण्ड का सहन नही होना (Intolerance Cold)
त्वचा का शुष्क होना (Dry Skin)
पेशियों और जोड़ो में दर्द होना, (Pain in the Joints and Muscles)
बालों का झड़ना (Baldness)
रक्ताल्पता (Anemia) होना
स्त्रियों में मासिक रक्तस्त्राव (Extra Discharge During Menses) का
बुद्धि की कमी हो जाती है
सुनाई कम देता है
वजन का बढ़ना
हाइपोथाइराइड की मुख्य वजह हमारी जीवनशैली मानी जाती है। आसीन जीवन शैली और जंक फूड के अधिक इस्तेमाल को अधिकांश डॉक्टर इसकी वजह मानते हैं।
हाइपो थायरॉयड से बचने के लिए सबसे जरूरी है स्वस्थ्य और क्रियाशील जीवनशैली अपनाना। इसके साथ ही निम्न बातों का भी ध्यान रखना जरूरी है:
व्यायाम (Exercise): प्रतिदिन एक घंटा हल्का या तेज किसी भी प्रकार का व्यायाम जरूर करें।
हाइपोथयरॉइड के कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए और डॉक्टर से विमर्श करके हाइपोथयरॉइड की दवाई शुरू करनी चहिये। जब थायरॉइड ग्लैंड जरूरत के मुताबिक थायरॉइड हार्मोन स्त्रावित नहीं करती तो यह रोग हायपोथायरॉइड कहलाता है।
इसे मेडिकल के क्षेत्र में हायपोथायरॉइडिज्म भी कहा जाता है।
हायपोथायरॉइडिज्म में रोगी को थकान, सर्दी, कब्ज, शुष्क त्वचा, मांसपेशियों में ऐंठन, अचानक से वजन बढ़ना, अवसाद, रूखे और झड़ते बाल और नाखुन, आदि समस्याएं पनपने लगती हैं।
कुछ घरेलू उपचार की मदद से हायपोथायरॉइडिज्म से निजात पायी जा सकती है,
कारण:- हाइपोथाइराइड की मुख्य वजह हमारी जीवनशैली मानी जाती है। आसीन जीवन शैली और जंक फूड के अधिक इस्तेमाल को अधिकांश डॉक्टर इसकी वजह मानते हैं।
हायपोथायरॉइड से बचाव के लिए घरेलू नुस्ख़े (Home Remedies for Hyopothyroid)
नारियल तेल (Coconut Oil)
नारियल तेल में जरूरी फैटी एसिड होते हैं, जो थायरॉइड को नियंत्रित करते हैं। उपचार के लिए रोजाना बनाए जाने वाले खाने में नारियल के तेल का इस्तोल करें। संभव हो तो रोजाना एक गिलास दूध में नारियल तेल को मिलाकर पिएं।
सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar)
सेब का सिरका भी थायरॉइड की समस्या से निजात दिला सकता है। इसके डिटॉक्सीफिकेशन (Detoxification) के गुण अल्कालाइन (Alkaline) के संतुलन को बनाकर वजन को घटाते हैं और हार्मोन्स को स्तर ठीक करते हैं। इतना ही नही, सेब का सिरका कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करता है। एक गिलास गुनगुने पानी में दो चम्मच सेब का सिरका मिलाकर पीएं। इस पेय में आवश्यकता अनुसार शहद मिला सकते हैं।
विटामिन डी (Vitamin D)
विटामिन डी थायरॉइड की समस्या से निपटने के लिए बहुत जरूरी है। इसके लिए रोज कम से कम 15 मिनट धूप में जरूर बैठें। इससे शरीर में कैल्शियम की मात्रा भी बढ़ती है।
अदरक (Ginger)
अदरक, जिंक, पोटेशियम, और मैग्नीशियम का अच्छा स्त्रोत है। इसके लिए अदरक की हर्बल चाय को दिनचर्या में शामिल करें। चाय बनाने के लिए उबलते पानी में कुछ टुकड़े अदरक के डालें। अच्छी तरह से उबल जाए तो कुछ देर ठंडा करें। गुनगुना रह जाए तब इसमें शहद मिलाएं और अदरक की इस चाय को पीएं। इस चाय को दिन में दो से तीन बार पिया जा सकता है।
मछली का तेल (Fish Oil)
मछली का तेल थायरॉइड हार्मोन के स्तर को बढ़ाता है। साथ ही, यह स्वस्थ थायरॉइड फंक्शन को भी बनाए रखता है। मछली के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड काफी अधिक होता है जो कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता हैं। डॉक्टर की सलाह से मछली के तेल के सप्लीमेंट लिए जा सकते हैं।
आयोडीन की मात्रा बढाएं (Increase Iodine)
आयोडीन की ऑर्गेनिक इनटेक भी हायपोथायरॉइडिज्म में राहत का काम करती है। आयोडीन के ऑर्गेनिक स्रोतों में प्याज, ओट, टमाटर, लहसुन, बंदगोभी, अनानास और स्ट्रॉबेरी, आदि शामिल हैं। इन खाद्य पदार्थों को रोज के भोजन में शामिल करें।
काले अखरोट (Black Wallnut)
काले अखरोट मिनरल, जैसे कि आयोडीन और मैगनीज के उच्च स्रोत होते हैं। यह मिनरल थाइरॉइड ग्लैंड को समुचित रूप से काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। काले अखरोट को भी रोज खाया जा सकता है।
तनाव से दूर रहें (Avoid Stress)
यदि आप थायरॉइड संबंधी किसी भी परेशानी से ग्रसित हैं तो तनाव बिल्कुल न लें। ऐसा कोई भी कार्य न करें, जो आपको इरीटेट करता हो और आपके तनाव को बढ़ाता हो क्योंकि तनाव से आपकी स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
हाई कैलोरी फूड से बचें (Avoid High Calorie Food)
बिस्कुट, मिठाईयां, केक और इसी प्रकार के अन्य खाने की चीजें जो हाई कैलोरीयुक्त होती हैं, उन्हें एकदम अवॉइड करें। इसके साथ ही खाने से सफेद चावल, मैदा, तला हुआ खाना आदि से भी पहरेज करें। इतना ही नहीं चाय और कॉफी की मात्रा भी घटाएं, जिससे हायपोथायरॉइडिज्म में आराम हो।
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