लखनऊ। महिला की शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आखिरकार यूपी पुलिस ने गायत्री प्रजापति समेत छह लोगों पर पास्को एक्ट के तहत शनिवार को राजधानी के गौतमपल्ली थाने में मुकदमा पंजीकृत किया।
इस मामले में एडीजी लॉ एण्ड आर्डर ने निष्पक्ष जांच की बात कही है। गौरतलब है कि चित्रकूट की रहने वाली एक महिला ने बताया कि अक्तूबर 2014 में मंत्री और उसके गुर्गों ने खनन पट्टा दिलाने का झांसा देकर उसके साथ यौन शोषण किया। साथ ही वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करना शुरु कर दिया।
यही नहीं सन 2016 में मंत्री के जन्मदिन पर उसे और उसकी बेटी को बुलाया गया। जहां उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया गया तो बेटी के साथ छेड़छाड़ की गई। इसके बाद पीड़िता ने उनकी इन हरकतों की शिकायत थाना पुलिस से लेकर डीजीपी तक की। लेकिन सत्ताधारी मंत्री के खिलाफ किसी भी पुलिस अधिकारी ने एफआईआर दर्ज करने की जहमत नही ऊठाई।
न्याय की आस लेकर पीड़िता ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की। पीड़ित पक्ष की ओर से पेश वकील महमूद पारचा ने बताया कि न्यायमूर्ति एसके सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने महिला की शिकायत को संज्ञान में लिया।
उन्होंने कहा कि मंत्री पर लगा आरोप संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में उस पर केस दर्ज होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार और यूपी पुलिस को फटकार लगाते हुए तत्काल मंत्री समेत छह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए।
मामले में एडीजी लॉ एण्ड आर्डर दलजीत चौधरी ने बताया कि सर्वोच्च न्यायलय के आदेश पर मंत्री गायत्री प्रजापति, अशोक, पिंटू सिंह, विकास वर्मा, चन्द्रपाल, रुपेश, आशीष के खिलाफ पास्को एक्ट के तहत संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। विवेचना की जा रही है, जांच में जो आयेगा उस आधार पर सभी के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।