नई दिल्ली। नई दिल्ली में चल रहे पहले ब्रिक्स ट्रेड फेयर में इस बार ब्रिक्स देशों की 600 कंपनियां आई हैं।
इस ट्रेड फेयर में ब्रिक्स देशों के 20 से ज्यादा सेक्टर में आपसी साझेदारी को बढ़ाने को लेकर बात हो रही है। इसके लिए ब्रिक्स देशों के 10 हजार बिजनेस प्रतिनिधि ब्रिक्स ट्रेड फेयर में आए हैं।
नई दिल्ली में बुधवार से शुरु हुए ब्रिक्स ट्रेड फेयर में ऐरोस्पेस, एग्रो प्रोसेससिंग, ऑटो एवं ऑटो पार्ट्स, ग्रीन एनर्जी, पर्यटन, जेम्स एंड ज्वेलरी, कौशल विकास, इफ्रॉस्ट्रक्चर, आईटी एवं इजीनियरिंग सहित मुख्यत: 20 सेक्टर पर जोर है।
ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रुस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) की 600 कंपनियों की कोशिश इन सेक्टर में आपसी बिजनेस साझेदारी को बढ़ाने के नए रास्ते खोजना है।
ब्रिक्स ट्रेड फेयर की अवधारणा 7वें ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। मोदी ने ब्रिक्स देशों को ऑर्थिक एवं व्यापारिक पक्ष में आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए ब्रिक्स ट्रेड फेयर का प्रस्ताव रखा था।
जिसे सभी सदस्य देशों ने एकमत से स्वीकार किया। ये नरेंद्र मोदी की कोशिश है कि भारत में हो रहे 8वें ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान पहला ब्रिक्स ट्रेड फेयर हो रहा है।
ब्रिक्स ट्रेड फेयर को एक ऐसे प्लेटफॉर्म के रुप में विकसित किया जा रहा है जहां सदस्य देशों की कंपनियां अपने-अपने तकनीकी ऩवोन्मेष का प्रदर्शन कर सकें। साथ ही सदस्य देशों की कंपनियां अपने-अपने सेक्टर में किए गए विकास को दूसरे देशों की कंपनियों से साझा कर सकें।
इसके अलावा सदस्य देशों के स्टार्ट-अप एवं इनोवेटर्स अपने नए आइडियाज़ को स्थापित कंपनियों तक पहुंचा सकें। इस ब्रिक्स ट्रेड फेयर के जरिए सदस्य देश हेल्थकेयर, शिक्षा, ऊर्जा बचत, वेस्ट मैनेजमेंट और शहरीकरण प्रबंधन को लेकर सामने आ रही समस्याओं का हल खोज सकें।