आबूरोड। अगर हौसले फौलादी हो और साथ में सच्चा मार्गदर्शक मिल जाए तो इरादों का इम्तिहान सहजता से पास किया जा सकता है। कार्य में देरी, अड़चने के दौरान कदम डगमगाए तो सच्चा सहयोगी सबल दे सकता है। ऐसी ही बानगी रेलवे के अजमेर मंडल की प्रथम महिला कुली मणिबेन के मामले में देाने को मिली।
पति के बाद कुली का बिल्ला मिलने तक मणि को चार साल का इंतजार करना पड़ा। लेकिन, नॉर्थ वेस्र्टन रेलवे एपलॉइज यूनियन के पदाधिकारियों के भागीरथी प्रयासों के चलते ही ‘मणि’ रविवार को कुली तमगा हासिल कर सकी। रेलवे स्टेशन पर कुली का कार्य करने वाले राजेंद्र कुमार की चार वर्ष पहले 29 सितबर 2011 को मृत्यु हो गई। ऐसे में चार छोटे बच्चों के लालन-पालन के लिए उनकी पत्नी मणिबेन ने पति के कार्य करने का निर्णय किया। ,
ऐसे में नार्थ वेस्टर्न रेलवे एपलॉइज यूनियन के पदाधिकारी उनके सहयोग को आगे आए। इस बारे में सबधित विभाग से पत्रावार व आवश्यक कार्रवाई शुरु की। इसी के चलते मणिबेन के अजमेर मंडल की पहली महिला कुली बनने का मार्ग प्रशस्त हो सका। यूनियन की महिला टीम, दुर्गेश शर्मा, प्रीति विश्नोई ने मणिबेन का स्वागत किया। इस अवसर पर देवेंद्र शर्मा, समदरसिंह राठौड़, संजय शर्मा, श्रीकृष्ण शर्मा, अमर भट्ट, शिशुपाल ओझा, बाबूलाल प्रजापति, चेतन, पीपी गोयल, भारत भूषण, एचटीसी बजरंगलाल समेत बड़ी संया में रेलवेकर्मी मौजूद थे।
बैठक में दिए आदेश
यूनियन के सचिव समदरसिंह राठौड़ के अनुसार यूनियन के मंडल मंत्री अरुण गुप्ता व आबूरोड अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा ने अथक प्रयास किए। इसी के चलते गत 16 अक्टूबर को हुई बैठक में वरिष्ठ मंडल वाणियक प्रबंधक जसराज मीणा ने मणिबेन को कुली का बैज प्रदान करने आदेश प्रदान किए।
किया माल्यार्पण, सौंपा बिल्ला
वरिष्ठ मंडल वाणिज्यक प्रबंधक द्वारा बैज प्रदान के आदेश के बाद रविवार को स्टेशन पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें अजमेर मंडल की पहली कुली मणिबेन का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया गया। इसके बाद मंडल वाणिज्यक निरीक्षक अशोक कुमार शर्मा ने बैज नबर 32 प्रदान किया।