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OMG जंगल में घूमने जा रहे है तो पहले यह जानले फिर ही जाएं - Sabguru News
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OMG जंगल में घूमने जा रहे है तो पहले यह जानले फिर ही जाएं

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OMG जंगल में घूमने जा रहे है तो पहले यह जानले फिर ही जाएं

भारत के वन्य प्राणी जीवन में बहुत विविधता पाई जाती है। यही वजह है कि हर इलाके का अपनी खासियत के अनुसार ही नेशनल पार्क भी है। जहां उस मौसम और स्वभाव में रहने वाले जानवरों का संरक्षण किया जाता है। इसलिए हर नेशनल पार्क कि उनकी खूबी के अनुसार उनकी पूरी जानकारी रखना भी जरूरी है। जैसे कि कैसे कपड़े पहन कर जाएं, मौसम के हिसाब से नेशनल पार्क में कौनसे जानवर मिल सकते है साथ ही उन जानवरों के साथ कैसा व्यवहार किया जाएं। हमारे देश के जंगल घने होने से कई बार जानवरों को देख पाना कठिन होता है, परंतु उनकी आदतों और क्रियाओं के ज्ञान से उन्हें जल्दी देखा जा सकता है। प्राय: सभी जंगलों में हाथी या जीप में बैठकर घूमा जाता है। पक्षी विहारों में साइकिलों व रिक्शा पर ही जाया जाता है।

भयानक जानवरों को देखने के लिए जनवरी से मई तक का समय उचित है। इन दिनों ऊंची घास खत्म हो जाती है और नई उगने लगती है, जिसे खाने के लिए शाकाहारी जंतु आते हैं। बाघ, तेंदुआ व अन्य मांसाहारी जंतु तभी शिकार पर निकलते हैं। पानी की खोज में तालाबों या नदियों के पास जुटते हैं। गर्मी में बाघ खुले में नहीं आना चाहते। सुबह-शाम उन्हें देखने के मौके अधिक होते हैं।

राष्ट्रीय उद्यानों में रात को भ्रमण की अनुमति नहीं है। रात को जानवरों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं। ऐसे में मनुष्य का दखल देना ठीक नहीं रहता। सर्दियों में घने कोहरे के कारण शाम के समय जानवर नहीं दिखते, अत: दोपहर की सफारी ठीक रहती है। खाने-पीने के समय बंदर शोर मचाते और उछलते-कूदते हैं। ऐसे में उन्हें आसानी से देखा जा सकता है। खुर वाले जानवर खुले मैदानों में और नदी के किनारे अधिक पाए जाते हैं। नमकीन स्वाद मिलने वाली जगहों पर जानवर प्राय: जाते हैं। यह स्वाद खास तरह की मिट्टी, चट्टान या पेड़ में मिलता है।

कपड़े हो सिम्पल

जंगल में जाते समय कपड़ों का खाकी रंग सबसे उपयुक्त होता है। भड़कीले रंगों वाले कपड़े नहीं पहनने चाहिए, क्योंकि तेज धूप में भड़किले रंगो से गर्मी तेज लगती है और जानवर भी भड़क सकते है। साथ हमेशा ध्यान रखें​ कि जूते ऐसे हों जो आवाज न करें, क्योंकि जंगल का रिवाज ही ऐसा है कि वहां शांति में ही आप अच्छी सहर कर सकते है।

दूरबीन व कैमरा साथ रखें

वाइल्ड लाइफ सफारी के समय एक अच्छी दूरबीन जरूर रखें। ताकि पशु-पक्षियों को दूर से भी देखा जा सके। फोटोग्राफी के शौकीनों को कैमरा व फिल्में और बैट्री बैकअप बिलकुल भी नहीं भूलनी चाहिए। नेशनल पार्क के समीप नई फिल्में बहुत ऊंचे दामों पर मिलती हैं। इससे आप इन खास यादों को सहजने का अच्छा खासा मौका गांवा सकते है।

जरूरी है सावधानी

जानवरों में सूंघने की विलक्षण शक्ति होती है। अत: उनके विपरीत चलने वाली हवा का ध्यान रखना चाहिए और मौजूदगी का आभास नहीं होने देना चाहिए। प्राय: जानवर हमें पहले देख लेता है और गायब हो जाता है। जानवर जब बच्चों के साथ हो तो कभी उसके समीप नहीं जाना चाहिए। हिरण की एक नस्ल बार्किग डीयर है। इसे बाघ की मौजूदगी का आभास जल्दी होता है और यह ऊंची आवाज लगा कर सभी जानवरों को इसका एहसास करा देता है।

चिडि़यों का अत्यधिक कलरव और बंदरों की बहुत कूद-फांद भी बाघ की उपस्थिति का लक्षण है। पंजों के निशान से भी जानवरों के ठिकानों की टोह ली जा सकती है। लगभग सभी नेशनल पार्क में मौनसून के मौसम में या यूं कहा जाए कि जून से अक्टूबर तक बंद रहते हैं। कई जानवरों की वंश वृद्धि का समय भी इन्हीं महीनों में होता है।

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