उज्जैन। सोमवार को बाबा महाकाल की श्रावण मास की पहली सवारी पर शहरभर में उल्लास का वातावरण रहा। बाबा महाकाल की पालकी जैसे ही मंदिर के बाहर लाई गई, भक्तों के सैलाब ने जय महाकाल, बोल बम क़े नारों की गूंज कर दी।
बाबा को सशस्त्र पुलिस बल द्वारा सलामी देने के बाद प्रारंभ हुआ नगर भ्रमण का सिलसिला। मार्ग में हर तरफ जनता थी जो केवल और केवल अपने भगवान के दर्शन करना चाहती थी। मकानों के छज्जों, बरामदों, सडक़ के दोनों ओर ओटलों से लेकर शिप्रा तट के दोनों ओर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।
बाबा की सवारी महाकाल मंदिर से कोट मोहल्ला चौराहा, गुदरी, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी, रामानुजकोट होकर शिप्रा तट पहुंची। यहां बाबा की ओर से मां शिप्रा का पूजन किया गया वहीं शिप्रा मैया के जल से बाबा का अभिषेक, पूजन किया गया।
इस पूजा परंपरा में पूरे समय गजराज बाबा की पालकी के पीछे खड़े रहे। जब बाबा की पूजा हो रही थी, उस दौरान दत्त अखाड़ा के पीर महंत द्वारा परंपरानुसार बाबा की पूजा एवं आरती शिप्रा के दूसरे छोर दत्त अखाड़ा घाट से की गई। बाबा की पूजा के इस नजारे को देखकर भक्त भाव विभोर हो गए।
बाबा की पालकी शिप्रा तट से रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, खाती का मंदिर, ढाबा रोड़, टंकी चौक, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा,कोट मोहल्ला चौराहा होकर मंदिर पहुंची। गोपाल मंदिर के बाद सवारी को इस प्रकार से तेजी से ले जाया गया, इसके चलते अनेक भक्त बाबा के दर्शन ही नहीं कर पाए।