Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
धनतेरस के साथ पांच दिवसीय दीपोत्सव शुरू - Sabguru News
Home Rajasthan Jaipur धनतेरस के साथ पांच दिवसीय दीपोत्सव शुरू

धनतेरस के साथ पांच दिवसीय दीपोत्सव शुरू

0
धनतेरस के साथ पांच दिवसीय दीपोत्सव शुरू

जयपुर। खुशियों व रोशीन का पंच दिवसीय पर्व दीपोत्सव मंगलवार को धन त्रयोदशी (धनतेरस) के साथ शुरू हो गया। भाई दूज तक चलने वाले इस त्यौहार को लेकर लोगों में अब उत्सुकता देखने को मिल रही है।

धनतरेस पर मंगलवार को खरीदारी के लिए लोग बाजारों में उमड़ पड़े। सारे बाजार खरीदारों की भीड़ से भरे नजर आए। पुष्य नक्षत्र के बाद आज धनतेरस पर सभी खाली बाजार भर गए। भीड़ को देखकर जोधपुर का व्यापार जगत भी उत्साहित नजर आया।

हिंदू धर्म का सबसे बड़ा पर्व दीपोत्सव मंगलवार को धनतेरस के साथ प्रारम्भ हो गया। दीपोत्सव के प्रथम दिन धनतेरस पर आज एक बार फिर बाजारों में धूम मच गई। पुष्य नक्षत्र पर हुई रिकॉर्ड बिक्री के बाद मंगलवार को धनतेरस पर भी अच्छी बिक्री हुई। शहरवासियों ने धनतेरस पर शुभ मुहूर्त के अनुसार खरीदारी की।

धनतेरस को देखते हुए सुबह से ही शहर के बाजारों में खरीदारों की भीड़ बढऩी शुरू हो गई थी। ज्वैलरी, वाहन, इलेक्ट्रीक व इलेक्ट्रोनिक्स आइटम, बर्तन आदि की दुकानों पर सर्वाधिक भीड़ पड़ी।

धनतेरस पर सवेरे से ही जोधाणा के बाजार में मुहूर्त के हिसाब से धन बरसना शुरू हो गया। आज धन्वंतरि जयंती भी मनाई गई। धनतेरस पर लोगों ने दिल खोलकर खरीदारी की। अमूमन देरी से अपने प्रतिष्ठान खोलने वाले दुकानदारों ने भी आज अपने प्रतिष्ठान जल्दी खोल दिए।

धनतेरस पर शहरवासियों ने चांदी के सिक्के से खरीदारी शुरू की। कहा जाता है कि चांदी के सिक्के की खरीद के बाद घर में लक्ष्मीजी का प्रवेश होता है। मान्यतानुसार चांदी के सिक्के की खरीद को शुभ कहा गया है। इन सिक्कों पर लक्ष्मी, गणेशजी व सरस्वती माता के चित्र अंकित होते है।

नवीन वस्तुआें के क्रय के साथ ही शुभ मुहूत्र्त में जमीन-जायदाद की खरीद, गृह प्रवेश, नव व्यवसाय आदि किया गया। कई लोग मुहूत्र्त के कारण सामान खरीदने के लिए इन्तजार करते भी दिखे। सबसे अधिक भीड़ वाहन, ज्वैलरी व इलेक्ट्रीक-इलेक्ट्रोनिक्स शोरूम सहित बर्तनों की दुकान पर थी। धनतेरस पर बर्तनों की खरीद भी शुुभ मानी गई है।

बाजारों में शहरी उपभोक्ताआें के साथ ही ग्रामीणों की भी भारी भीड़ पड़ी। बड़ी संख्या में ग्रामीण खरीदारी के लिए शहर आए हुए थे। ग्रामीणों ने सोने-चांदी के जेवरात, वाहन, मशीनरी, पटाखे, कपडे़ आदि खरीदे।

धनतेरस पर शहर के व्यापार जगत ने करोड़ों रुपए का व्यवसाय किया। इससे पूर्व पुष्य नक्षत्र पर बाजारों में जमकर धनवर्षा हुई थी। पुष्य नक्षत्र को मिनी धनतेरस के नाम से जाना जाता है और मुख्य धनतेरस पर पुष्य नक्षत्र पर हुए कारोबार का दुगुना व्यवसाय हुआ।

धनतेरस के अगले दिन बुधवार को रूप चतुर्दशी मनाई जाएगी। इस दिन सुबह भगवान यम का तर्पण करके शाम को घर की चौखट पर यम दीपक जलाने से उस घर में किसी की भी अकाल मृत्यु नहीं होती है।

रूप चतुर्दशी होने से लोग इस दिन सौन्दर्य को निखारने के लिए उबटन लगा कर स्नान करेंगे। सूर्योदय से पहले उबटन और तेल लगाकर नहाने से काया निरोगी रहती है। कारण कि इस दिन तेल में लक्ष्मी और जल में गंगा का निवास होता है। दीपोत्सव के तीसरे दिन दीपावली, चौथे दिन रामा-श्यामा व गोवद्र्वन पूजा एवं अंतिम दिन भाई-दूज पर्व मनाया जाएगा।