रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने विधानसभा में एक ऐसा आंकड़ा पेश किया जिसे सुनकर विपक्ष आगबबूला हो गया। विपक्ष के मुताबिक ये आंकड़े न केवल प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं बल्कि इस ओर इशारा भी करते हैं कि प्रदेश की महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं।
दंतेवाड़ा से कांग्रेस विधायक देवती कर्मा के सवाल पर गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 23 महीने में 3314 महिलाओं से अनाचार के प्रकरण दर्ज हुए हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो हर रोज औसतन 5 महिलाओं की अस्मत लुटी गई।
गृहमंत्री के मुताबिक सिर्फ बस्तर में दो साल में 281 महिलाओं के साथ दुष्कर्म की वारदात हुई है। इन 281 महिलाओं में 3 अनुसूचित जाति की और 41 आदिवासी महिलाएं शामिल हैं। हालांकि सरकार ने ये भी दावा किया कि जिन 281 महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ है, उनमें से 270 मामलों के आरोपी पकड़ लिए गए हैं। वहीं 8 मामले के आरोपी अभी भी फरार हैं।
इन प्रकरणों के बीच सरकार ने इस बात को भी स्वीकार किया है कि 36 रेप पीड़िता को सरकारी मदद के तौर पर 38 लाख 72 हजार रुपए दिए गए हैं, जबकि 237 दुष्कर्म पीड़िताओं को सरकारी मदद इसलिए नहीं दी गई क्योंकि वो सरकारी मदद की पात्रता नहीं रखती थी।
वहीं कांकेर में दो सालों में कुल 82 महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ। इसके अलावा बीजापुर में 16, नारायणपुर में 12 सुकमा में 9, दंतेवाड़ा में 23 और कोंडागांव में 49 महिलाओं के साथ बलात्कार के प्रकरण दर्ज हुए हैं। प्रदेश के अन्य जिलों में भी यही स्थिति है।
रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग जिले भी दुष्कर्म के मामले में पीछे नहीं हैं। गृहमंत्री के इस जवाब के बाद विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्य आगबबूला हो गए और यह आरोप लगाते हुए सदन से बर्हिगमन कर दिया कि राज्य सरकार महिलाओं को सुरक्षा देने में नकाम साबित हो रही है।
गौरतलब है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार रेप के मामलों में छत्तीसगढ़ सातवें स्थान पर है, जबकि आबादी के आधार पर रेप प्रतिशत में नंबर वन है।
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