काठमांडू। नेपाल में मॉनसून की भारी बारिश की वजह से आई बाढ़ व भूस्खलन में करीब 53 लोगों की मौत हो गई है और कम से कम एक लाख लोगों को अपना घर-बार छोड़ना पड़ा है।
हिमालयी राष्ट्र के कई हिस्सों में राहत व खोज अभियान जारी है। अधिकारियों के अनुसार बाढ़ से कई बस्तियां प्रभावित हुई हैं। नदियों के खतरे के निशान से ऊपर होने के कारण बहुत से इलाके जलमग्न हो गए हैं।
आपदा से ज्यादातर दक्षिणी तराई मैदानी इलाके प्रभावित हुए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक करीब 40,000 घर बुरी तरह से प्रभावित हैं।
नेपाल के गृह मंत्रालय ने कहा कि 49 लोगों की मौत हुई है व 36 लोग लापता है। हालांकि, इंटरनेशनल रेड क्रास ने कहा कि बीते तीन दिनों में तराई इलाके भारत के सीमावर्ती व नेपाल के दूसरे इलाकों में बाढ़ व भूस्खलन से 53 जानें गई हैं।
नेपाल बिजली प्राधिकरण के मुताबिक हजारों एकड़ भूमि पानी से डूब गई है और पूर्वी इलाके में बिजली आपूर्ति पूरी तरह से ठप हो गई है।
बाढ़ से कई संचरण लाइनों पर असर पड़ा है। पूर्वी तराई इलाके में शनिवार से लैंडलाइन टेलीफोन व मोबाइल नेटवर्क काम नहीं कर रहा है। अधिकारियों ने कहा कि वे बिजली लाइनों को जल्दी ठीक करने में लगे हैं।
कई राजमार्ग बंद हो गए हैं और सरकार ने सुरक्षा बलों व सरकारी अधिकारियों को राहत व खोज अभियान के साथ पुनर्वास कार्य तेजी से करने के निर्देश दिए हैं। गृह मंत्रालय ने लोगों से सुरक्षित इलाकों में आने को कहा है।
प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने शनिवार की शाम राष्ट्र को संबोधित किया और पीड़ितों को राहत दिए जाने की घोषणा की।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार करीब 700 भारतीय, चीनी, अमरीकी व दूसरे फंसे हुए पर्यटकों को चितवन के सुरहा से बचाया गया। बाढ़ का पानी आवासीय इलाके में फैल गया था।
नेपाल के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार नेपाल में आने वाले दिनों में बारिश के जारी रहने की उम्मीद है। इससे बाढ़ के विकराल होने की उम्मीद है।