नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को लोकसभा में एक विधेयक पेश किया, जिसके तहत केंद्र सरकार भारतीय रिजर्व बैंक को यह अधिकार देती है कि वह ऋण के बकायेदारों से बकाया वसूली के लिए बैंकों को वसूली प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दे सकता है। बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक एक अध्यादेश की जगह लेगा, जिसे पहले जारी किया गया था।
बकाये की वसूली दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 के तहत की जाएगी, जो बकाये की वसूली के लिए एक समयबद्ध प्रक्रिया प्रदान करती है।
तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय ने विधेयक का विरोध किया। रॉय ने कहा कि यह एक निराश सरकार द्वारा उठाया गया निराश कदम है।
उन्होंने कहा कि उस आरबीआई को बैंकों को नियंत्रित करने का अधिकार दिया जा रहा है, जो नोटबंदी के बाद जमा हुई पूरी रकम की जानकारी देने में अभी तक अक्षम रहा है।
रॉय ने कहा कि बैंकों की गैर निष्पादित अस्तियां (एनपीए) बढ़कर नौ लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर चुकी हैं और इन मामलों को दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड को सौंपने का अधिकार अब आरबीआई को दिया जा रहा है।
उन्होंने विधेयक को संसदीय समिति के पास भेजे जाने की मांग की। जेटली ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि रॉय द्वारा उठाई गई आपत्ति का विधेयक को पेश करने से कोई लेना-देना नहीं है।
विधेयक को सदन में पेश करने के बाद मंत्री ने कहा कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे पर चर्चा हो सकती है, जब विधेयक पर चर्चा शुरू होगी।
पिछले महीने आरबीआई ने उन 12 सबसे बड़ी कंपनियों को चिन्हित किया है, जिनके पास कुल एनपीए या फंसे कर्ज का 25 फीसदी हिस्सा फंसा हुआ है।
एस्सार स्टील, भूषण स्टील तथा भूषण पावर एंड स्टील सहित ऐसी कुछ कंपनियों के खिलाफ दिवाला एवं दिवालियापन संहिता के तहत कार्रवाई पहले ही शुरू कर दी गई है।