नई दिल्ली। तेल, साबुन जैसे रोजमर्रा के उत्पादों से जुड़ा एफएमसीजी उद्योग भारत में सबसे ज्यादा वेतन देने वाला उद्योग बनकर उभरा है। इस उद्योग में सभी स्तरों और कामकाज को मिलाकर कंपनियों की औसत सालाना लागत 11.3 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई।
एफएमसीजी उद्योग में बिक्री, विपणन और आपूर्ति श्रंखला में भूमिका निभाने के लिए योग्य व्यक्तियों की मांग काफी बढ़ी है। इसमें 30 प्रतिशत से अधिक रोजगारों को 10 लाख से उपर की श्रेणी में रखा गया है। इसी वर्ग को एफएमसीजी उद्योग को विजेता के रूप में उभारने के लिए प्राथमिक चालक माना जा रहा है।
एफएमसीजी के बाद बिजली और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र का स्थान रहा है। इन क्षेत्रों में कंपनियों के विभिन्न स्तरों पर कर्मचारियों का सालाना वेतन क्रमश 9.8 लाख रुपए और 9.3 लाख रुपए रहा है। वर्ष 2017 के दौरान वेतन रख पर किए गए अध्ययन को यहां रैंडस्टैड ने जारी किया।
औषधि और स्वास्थ्य देखभाल उद्योग में सालाना औसत कंपनी को पडऩे वाली लागत 8.8 लाख रुपए, दूरसंचार क्षेत्र में 8.7 लाख रुपए रही है और इस लिहाज से यह चौथे और पांचवें स्थान पर रहा। यह क्षेत्र भारत के सबसे आकर्षक उद्योगों में रहा।
रैंडस्टैड इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ मूर्ति के उप्पालुरी ने कहा कि आज नियोक्ताओं इस बात को समझते हैं कि बेहतर प्रतिभाओं को आकर्षित करने अथवा अपने साथ जोड़े रखने के लिए सही वेतन ढांचा सबसे महत्वपूर्ण है।
यही वजह है कि मौजूदा वेतन रख के बारे में जानकारी रखने और उसका नजदीकी से विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है, इसके बाद जहां कहीं जरूरी हो उसमें सुधार लाया जाना चाहिए।
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