सिरोही। गोपालन एवं देवस्थान विभाग के राज्यमंत्री ओटाराम देवासी के बुधवार को मंत्री बनने के बाद पहली बार विधानसभा क्षेत्र में पहुंचने पर लोगों ने स्वागत किया।…
देवासी शिवगंज शहर में स्वागत किया गया, इसके बाद हाइवे पर पडऩे वाले गावों में उनका स्वागत हुआ। सिरोही पहुंचने पर वह सबसे पहले सारणेश्वर मंदिर पहुंचे जहां पर सारणेश्वर महादेव के दर्शन के बाद खुली जीप में बैठकर वह शहर में निकले। शहर में चोसठ जोगिनी, नयावास, सारणेश्वर दरवाजा, घांचीवाड़ा, मोचीवाड़ा, सदर बाजार, सरजावाव दरवाजा, राजमाता धर्मशाला मोडए आयुर्वेदिक हॉस्पीटल चौराहा समेत सिरोही शहर में कई जगह लोगों ने उनका माला पहनाकर स्वागत किया।
खुली जीप में उनके साथ भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी, उपाध्यक्ष ताराराम माली, जिला मीडिया संयोजक लोकेश खण्डेलवाल, सहवृत्त पार्षद हेमलता पुरोहित, विरेन्द्रसिंह चौहान, विक्रमसिंह पपसा, हेमंत पुरोहित, गोविंद माली आदि सवार थे। सिनेमा हॉल के पास में मुस्लिम समाज के लोगों ने उनका स्वागत किया, इस दौरान शरीफ, शोकीन खोखर समेत मुस्लिम समाज के अन्य लोग मौजूद थे। इसी तरह राजमाता धर्मशाला के पास मुकेश मोदी, विक्रमसिंह, सतीश अग्रवाल, महावीर जैन, आफताब इरफान, मानसिंह देवड़ा आदि न उनका स्वागत किया।
आचार संहिता ने रखा मलाल
पोर्टफोलियो भले ही कोई खास नहीं मिला हो, लेकिन लाल बत्ती सिरोही विधानसभा में आ ही गई। मलाल इस बात का रह गया कि जिस लाल बत्ती का भाजपाइयों को लम्बे समय से इंतजार था वह मिली भी तो आचार संहिता लगने के बाद। ऐसे में गोपालन एवं देवस्थान विभाग के राज्यमंत्री जिले में अपनी गाड़ी में लाल बत्ती लगा कर प्रवेश नहंी कर पाए और न ही उन्हें वो प्रोटोकॉल और राजकीय सम्मान मिल पाया जिसके एक राज्यमंत्री के रूप में वे हकदार थे। अब इस रुतबे के लिए उन्हें तीस दिन तक इंतजार करना होगा। क्योंकि निर्वाचन विभाग की ओर से मंगलवार को ही नगर निकाय चुनावों की घोषणा किए जाने के साथ ही दोपहर बाद आचार संहिता प्रभावी हो गई थी।
इधर आचार संहिता ताक पर
उत्साही समर्थक गोपालन एव देवस्थान विभाग के राज्यमंत्री के सिरोही आगमन पर इस कदर हर्षित हुए कि आचार संहिता भी ताक में रख दी। उनके आगमन पर उनके प्रति अपनी अगाध श्रद्धा दिखाने की होड में इस कदर जोश में आए कि स्वागत के लिए लगाए गए होर्डिंगस पर भाजपा का चुनाव निशान लगा बैठे। सिरोही के अधिकांश चौराहों में एकाध होर्डिंग को देखकर यही प्रतीत हो रहा है कि स्वागत की चाह और सत्तांधता में समर्थकों ने आचार संहिता को ठिकाने लगा दिया और विधायक और राज्यमंत्री को खुश करने की होड में नगर पालिका अधिकारी व कर्मचारी इसे हटा नहीं पाए।