नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री शंकर सिंह वाघेला ने सोमवार को कहा कि वह मंगलवार के महत्वपूर्ण राज्यसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस विधायकों के संपर्क में नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस नेता अहमद पटेल के साथ उनके संबंध बहुत सौहार्द्रपूर्ण हैं।
वाघेला ने जुलाई में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने एनडीटीवी के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि भाजपा से किसी तरह की पेशकश प्राप्त होने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह कांग्रेस के उन विधायकों के संपर्क में हैं, जो 10 दिन कर्नाटक में बिताने के बाद सोमवार को गुजरात लौटे हैं? वाघेला ने कहा कि नैतिकता के आधार पर मुझे संपर्क में नहीं रहना चाहिए। और मैं संपर्क में नहीं हूं।
अपना वोट किसे देंगे? वाघेला ने कहा कि मतदान किसी विधायक की निजी संपत्ति है। मैं इसका खुलासा करना नहीं चाहता।
वाघेला ने कहा कि कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने सोमवार को उन्हें फोन किया और मंगलवार को उनसे फिर बात होगी। पटेल राज्य से तीसरी राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार हैं।
वाघेला कांग्रेस से इस्तीफा देने से पूर्व गुजरात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थे। उन्होंने कहा कि वह पिछले चार दशकों से पटेल को जानते हैं और उनका रिश्ता राजनीतिक संबद्धताओं से ऊपर है। उन्होंने कहा कि आज भी हमारे संबंध बहुत सौहाद्र्रपूर्ण हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें भाजपा ने राज्यपाल पद की पेशकश की है, जैसा कि कयास लगाया जा रहा है? वाघेला ने कहा कि उनके और भारतीय जनता पार्टी के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि किसी पेशकश का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता उनके संपर्क में नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि बलवंत सिंह राजपूत उनका रिश्तेदार बनने से पहले अहमद पटेल के मित्र थे। भाजपा ने राजपूत को राज्य की तीसरी राज्यसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है।
राजपूत विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक थे और जुलाई में पार्टी से इस्तीफा देने के तत्काल बाद भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार घोषित कर दिया।
वाघेला ने कहा कि उनसे कहा गया है कि वह अपने रिश्तेदार की जीत के लिए क्या करेंगे, लेकिन यह भाजपा की अपनी सोच थी। उन्होंने कहा कि जहां मुझे आवश्यक लगेगा, बोलूंगा।
कांग्रेस के 44 विधायक सोमवार को बेंगलुरू से गुजरात लौट आए हैं। इन विधायकों को भाजपा के तोड़फोड़ से बचाने के लिए 29 जुलाई को तब बेंगलुरू भेज दिया गया था, जब पार्टी के छह विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिनमें से कुछ भाजपा में शामिल हो गए थे।