नई दिल्ली। भारत सरकार परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे चीन को मनाने में जुटी हुई है। इसी क्रम में विदेश सचिव एस.जयशंकर ने 16 जून-17 जून को चीन का गुपचुप दौरा किया और अपने समकक्ष से मुलाकात की।
विदेश मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी एक बयान में कहा गया कि एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर भारतीय सचिव एस.जयशंकर ने चीन का दौरा किया और अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात की। दोनों के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक में एनएसजी में भारत की सदस्यता सहित कई अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई।
23 जून-24 जून को सियोल में एनएसजी पर होने वाली समग्र चर्चा में चीन भारत का विरोध कर सकता है, जिसको देखते हुए सरकार बातचीत से चीन को मनाने की कोशिश रही है।
आगामी 23 जून को ताशकंद में शंघाई सहयोग संगठन नेताओं की होने वाली बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चीन के राष्ट्रपति झी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे।
एनएसजी में पाकिस्तान की सदस्यता का समर्थन कर रहे चीन का मानना है कि इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए बातचीत की जानी चाहिए कि कौन-कौन से देश इस विशिष्ट समूह का हिस्सा बन सकते हैं।
चीन की आधिकारिक मीडिया ने चिंता जताई है कि एनएसजी में भारत के प्रवेश से दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन प्रभावित होगा और भारत एक परमाणु शक्ति बन जाएगा। चीन के पाकिस्तान को इस परमाणु समूह में शामिल करने की वकालत की है।
इससे पहले अमरीका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे देशों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि सदस्य देशों को समूह में भारतीय प्रशासन को शामिल किए जाने पर आम सहमति में रुकावट नहीं डालना चाहिए।