नई दिल्ली। अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्केटर सौदे में सीबीआई ने पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी, उनके भाई संजीव त्यागी और वकील गौतम खेतान को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया।
पूर्व वायुसेना प्रमुख पर अपने पद का दुरुपयोग कर अगस्ता-वेस्टलैंड को यह सौदा दिलाने और उनके भाई पर बिचौलिए के जरिये पैसे लेने के आरोप हैं। सीबीआई ने इन तीनों को घंटों पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया। तीनों को शनिवार को सीबीआई अदालत में पेश किया जाएगा।
तीनों आरोपियों को धारा 120-बी, आईपीसी की धारा 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई हेडक्वार्टर में इनसे पूछताछ की जाएगी।
सीबीआई ने कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड में कुल 3767 करोड़ रुपये का सौदा था और रिश्वत मुख्य राशि की 12%थी। राकेश अस्थाना के सीबीआई का कार्यवाहक मुखिया बनने के बाद एजेंसी द्वारा की गई यह पहली हाई प्रोफाइल गिरफ्तारी है।
इस सौदे को लेकर पूर्व वायुसेना प्रमुख से कई बार पूछताछ हो चुकी है। भारत में वीआईपी के इस्तेमाल के लिए 12 हेलीकॉप्टरों की खरीद होनी थी और एसपी त्यागी पर आरोप हैं कि उन्होंने अगस्ता वेस्टलैंड को फायदा पहुंचाने के लिए ठेके की शर्तें बदल दीं।
सीबीआई को जांच में इस बात की जानकारी मिली कि एसपी त्यागी के भाइयों ने बिचौलिए के साथ कन्सल्टेंसी का अनुबंध किया और सौदे के बदले इस फर्म के खाते में मोटी राशि दी गई।
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी ‘प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट’ के तहत त्यागी को समन भेजा था। पूर्व वायुसेना प्रमुख ने कथित तौर पर सीबीआई के सामने पहले यह कबूल किया था कि वह सौदे के बिचौलिए गुइडो राल्फ हैश्के से मिले थे।
हेलीकॉप्टर घोटाले में शक के दायरे में आए एसपी त्यागी 31 दिसम्बर 1963 को वायुसेना में शामिल हुए। त्यागी ने 1965 और 1971 की जंग में भी शिरकत की। जब 1980 में जगुआर को वायुसेना में शामिल किया गया तो त्यागी का नाम भी उसे उड़ाने वाले आठ पायलटों में था। 31 दिसम्बर 2004 को उन्होंने भारतीय वायुसेना के 20वें एयर चीफ मार्शल के रूप में कार्यभार संभाला।
दिल्ली में रहने वाले वकील गौतम खेतान को ईडी ने 23 सितम्बर 2014 को गिरफ्तार किया था। उसपर अगस्ता वेस्टलैंड डील में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप था। खेतान का नाम पनामा पेपर लीक्स में भी था।
ईडी के मुताबिक खेतान चंडीगढ़ स्थित एक कंपनी एयरोमैट्रिक्स से जुड़े हैं। इस कंपनी ने अगस्ता वेस्टलैंड डील में बड़ी रकम की हेराफेरी की थी। सितम्बर 2014 में इसे फिर गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 9 जनवरी 2015 को वह जमानत पर रिहा हो गया।