इटानगर। अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री कालिखो पोल द्वारा रहस्यमय खुदकुशी से पहले लिखी गई 60 पन्नों की ‘मैरा विचार’ शीर्षक वाले नोटबुक के कुछ अंश एक सोसल न्यूज पोर्टल पर आने के बाद राज्य की राजनीति में फिर से भूचाल आ गया है।
बीते 9 अगस्त, 2016 को कालिखो की मौत के बाद राजधानी क्षेत्र के संयुक्त जिला न्यायधीश (एडीएम) तालो पोतोम के नेतृत्व राजधानी पुलिस ने कई सामानों को अपने कब्जे में ले लिया था, जिसमें पोल के द्वारा लिखी गई 60 पन्नों वाली 5 नोट बुकलेट भी शामिल था।
राज्य के अनेक संगठन और लोगों ने पोल के नोटबुक को सार्वजनिक करने की मांग, लेकिन सरकार ने से सार्वजनिक नहीं किया। न्यूज पोर्टल पर स्वर्गीय पोल के बुकलेट के कुछ पन्ने लीक होने के संबंध में एडीएम पोतोम ने बुधवार को कहा कि 60 पन्नों के 5 नोटबुक अभी तक पुलिस के कब्जे में हैं।
उन्होंने कहा कि मेरे साथ ही अन्य दो-तीन अधिकारियों ने नोटबुक को सील किए जाने के दौरान अपने-अपने हस्ताक्षर किए थे। अभी तक उसे खोला नहीं गया है। साथ ही कहा कि हमारी जांच और निर्देश के बिना उसे कोई नहीं खोल सकता।
साथ ही उन्होंने कहा कि इस सीलबंद नोटबुक को खोलने के लिए पुलिस के जांच अधिकारियों से लिखित में अपील करने के बाद खोला जाता है, ऐसे में अभी तक ऐसी कोई अपील मेरे (एडीएम) पास इस तरह की कोई अपील नहीं आई है।
इस संबंध में राज्य के आइजीपी एन पायेंग ने बताया कि कालिखो पोल की मौत के मामले को एक अत्माहत्या मानते हुए पिछले दो महिने पहले ही मामले की जांच को बंद कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि पुलिस ने पूरी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है। साथ मे 60 पन्नों वाली बुकलेट भी कोर्ट के हवाले कर दिया गया है।
हालांकि पायेंग ने यह दावा किया कि पुलिस ने मामले की जांच के दौरान 60 पन्नों वाली नोटबुक का भी इस्तेमाल किया गया था। ऐसे में यह गंभीर सवाल उठता है कि आईजीपी और एडीएम में कौन सही बोल रहा है। क्योंकि दोनों के बयान आपसे में मेल नहीं खा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार कुल 10 नोट हैं, जिसमें से पांच पुलिस व मजिस्ट्रेट के कब्जे में है और पांच किसी अन्य के पास हैं। पोल के इस दस्तावेज में कई संवेदनशील दावे किए गए हैं, राज्य के अनेक राजनीतिक नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप स्वर्गीय पोल द्वारा नोटबुक में लगाए गए हैं।
ये आरोप कितने सही हैं, इसका पता जांच के बाद ही चल सकता है। जबकि पुलिस ने अपनी जांच को पूरा मानते हुए दो माह पहले ही बंद कर दिया है। नोटबुक के लीक हुए पन्नों में पुल के अनुसार माना गया है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी के पक्ष में फैसला देना पूरी तरहे से गलत था।
पुल के अनुसार तुकी ने अपने पूर्व सहयोगी पेमा खांडू, जो अब भाजपा में हैं और उनके पिता व पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय दोरजी खांडू के साथ मिलकर कई सालों तक राजकोष का जमकर दुरुपयोग किया। इसमें भी खासकर वो धन जो सार्वजानिक वितरण प्रणाली और रिलीफ फंड के रूप में आया था।
उन्होंने सवाल किया है कि इन नेताओं और विधायकों को इतने बड़े पैमाने पर इतनी निजी संपत्ति इकट्ठा करने का अधिकार कैसे मिलता है। नोटबुक में लिखी जो बात सबसे ज्यादा परेशान करती है वो यह है कि 2016 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके (पुल के) पक्ष में मोड़ने के लिए कुछ दलालों ने उनसे एक बड़ी धन राशि की मांग की थी।
पुल ने लिखा है, ‘मुझसे और मेरे करीबियों से कई बार संपर्क किया गया कि अगर मैं 86 करोड़ रुपए देता हूं तो फैसला मेरे हक में दिया जाएगा। मैं एक आम आदमी हूं, मेरे पास न उस तरह पैसा है न ही मैं ऐसा करना चाहता हूं…’ ये दलाल कौन थे और इन्हें किसी पूर्व मुख्यमंत्री से इस तरह संपर्क करने का साहस कैसे मिला। उन नामों को छुपाया गया है।
कारण मामले की बिना जांच के किसी के नाम को मीडिया में बेवजह घसीटने से बचने की बात कही गई है। पोल की मौत का मामला एक बार फिर से अरुणाचल की राजनीति में भूचाल ला दिया है।
पोल के नोटबुक के जिन पन्नों को लिक किया गया है, वे सभी कंप्यूटर से प्रिंट किए गए हैं, सभी पन्नों पर स्व. पोल के हस्ताक्षर हैं। सत्रों ने नोटबुक के लिक हुए पन्नों को असली बताया है। फिलहाल इसकी जांच के बाद ही असली-नकली का पता चल पाएगा।