लखनऊ। सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले की सुनवाई 25 मई को ही पूरी कर ली थी और पांच जून को फैसले की तारीख तय की थी।
बांदा का बहुचर्चित शीलू रेप कांड वर्ष 2010 का है। उस समय प्रदेश में बसपा की सरकार थी।
दिसंबर 2010 में बसपा के ही पूर्व विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी और उनके करीबी राम नरेश द्विवेदी उर्फ रावण, वीरेन्द्र कुमार शुक्ला, रघुवंश मणि द्विवेदी उर्फ सुरेश नेता और राजेन्द्र शुक्ला पर बांदा की नाबालिग लड़की शीलू ने रेप, छेड़खानी और मारपीट का आरोप लगाया था।
हालांकि उस समय लड़की को चोरी के आरोप में जेल भेज दिया गया था। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के हस्तक्षेप पर पुलिस ने पूर्व विधायक समेत सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था। बाद में मामले की जांच सीबी सीआईडी को सौंप दी गई थी।
इस बीच मामला उच्चतम न्यायालय पहुच गया और उच्चतम न्यायालय ने मामले की जांच सीबीआई को सौपने के आदेश दे दिए थे। सीबीआई ने 2012 में चार्जशीट दाखिल की। 25 मई को मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार को इस मामले में फैसला सुनाया।
सीबीआई अदालत ने पूर्व विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी के साथ राम नरेश तथा वीरेंद्र शुक्ला को इस मामले में दोषी माना गया है।