नई दिल्ली। सीबीआई ने शनिवार को कहा है कि उसने पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन के खिलाफ मामला दर्ज किया है। नटराजन पर मंत्री रहते हुए खनन के लिए वन भूमि के उपयोग की मंजूरी देकर कानून का उल्लंघन करने का आरोप है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने नटराजन की दिल्ली समेत दूसरे शहरों में उनकी संपत्तियों और चेन्नई में उनके परिसर पर कई छापे मारे हैं। संप्रग-2 सरकार के दौरान नटराजन पर्यावरण मंत्री थीं। उनके खिलाफ गुरुवार को प्राथमिकी दर्ज हुई है।
नटराजन पर भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत सार्वजनिक पद का दुरुपयोग करने और आपराधिक साजिश रचने केआरोपों में मामला दर्ज किया गया है।
पहले इस मंजूरी को पर्यावरण राज्य मंत्री जयराम रमेश ने खारिज कर दिया था। लेकिन जब नटराजन ने पर्यावरण मंत्री का पद संभाला तो उन्होंने कथित तौर पर इसे मंजूरी दे दी।
सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि तत्कालीन पर्यावरण एवं वन राज्यमंत्री जयंती नटराजन ने गैर-वानिकी उपयोग के लिए 55.79 हेक्टेयर वन भूमि को ईसीएल (इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग लिमिटेड) द्वारा गैर वानिकी उपयोग मंजूरी दे दी। जबकि इसके पहले के पर्यावरण मंत्री ने इसे खारिज कर दिया था।
प्राथमिकी में कहा गया है कि इस संबंध में महानिदेशक (वन) की सलाह और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन किए बिना ही मंजूरी दे दी गई।
लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी ने जयंती टैक्स शब्द को खूब उछाला था, जो उनके कार्यकाल में पर्यावरण मंजूरियां देने को लेकर उनके तरीके के बारे में लोगों की धारणा कें सदर्भ में था।नटराजन के पार्टी छोड़ने के बाद उनकी पार्टी के पुराने सहयोगी भी जयंती टैक्स का जिक्र करते थे।
नटराजन ने हालांकि आरोपों से इनकार कर दिया था और कहा था कि वे इस बात को साबित करें। यदि मैंने कोई गलत काम किया है, तो उसे साबित करने के लिए मैं किसी भी जांच का स्वागत करती हूं। मैंने ईमानदारी के साथ अपना कर्तव्य निभाया है। जब मेरी अपनी पार्टी ने ही मेरे साथ क्षुद्र ढंग से व्यवहार किया, तो मोदी क्यों नहीं करेंगे?
सीबीआई ने 2014 में इस मामले में एक प्रारंभिक जांच दर्ज की थी, जिसमें आरोप था कि 2005 में झारखंड सरकार के अज्ञात अधिकारियों ने इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग लिमिटेड को सारांदा जंगल की 1902.5 हेक्टेयर भूमि पर लोहा और मैग्नीज के खनन के लिए पट्टे पर देने के प्रस्ताव को पर्यावरण मंत्रालय और वन मंत्रालय से सिफारिश की थी।