चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की वाड्रा लैंड डील में कथित रूप से अनियमितता बरतने के कारण मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
शनिवार को वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील प्रकरण में सीबीआई ने हुड्डा के चण्डीगढ़, रोहतक व दिल्ली के विभिन्न आवासों पर छोपेमारी की है। हालांकि हुड्डा सीबीआई टीम केे पहुंचने के पहले अंडरग्राउंड हो गए थे।
हुड्डा के चण्डीगढ़ आवास पर सुबह चार बजे से ही सीबीआई की टीम कागजों को खंगाल रही है। रोहतक में हुड्डा निवास के साथ-साथ उनके पूर्व चीफ सेक्रेटरी रहे एमएल तायल व पूर्व ओएसडी छत्तर सिंह चौहान व रणसिंह मान के ठिकानों पर भी कार्रवाई चल रही है।
हुड्डा के खिलाफ कार्रवाई की आशंका राजनीतिक हल्कों में ढींगरा आयोग की रिपोर्ट जमा होने के बाद से ही चल रही थी। 31 अगस्त को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील प्रकरण की जांच कर रहे जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट दे दी थी।
जांच रिपोर्ट देने के बाद जस्टिस ढींगरा ने लैंड डील में नियमों की अनदेखी की बात सार्वजनिक रूप से कही थी। इसके बाद उसी शाम कुरूक्षेत्र की एक सभा में मुख्यमंत्री ने भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी।
इसके बाद से ही आशंका लगाई जा रही थी कि पूरे प्रकरण में राबर्ट वाड्रा व भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। खट्टर सरकार ने सितम्बर 2015 में ही पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई टीम को सौंप दी थी।
गौरतलब है कि हरियाणा के गुरूग्राम में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रार्बट वाड्रा की कम्पनी स्काई लाइट्स हॉस्पिटैलिटिज ने शिकोहाबाद तहसील में जमीन खरीदी थी। आरोपों के मुताबिक पांच बीघा 13 बिसवा यानि साढ़े तीन एकड़ जमीन की यह डील ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के नाम पर की गई थी जो फर्जी कागजात के आधार पर हुई थी।
जमीन का सौदा साढ़े सात करोड़ में दिखाया गया। जबकि आईएएस अशोक खेमका की रिपोर्ट के मुताबिक कोई पैसा नहीं दिया गया था। जमीन लेने के बाद रॉबर्ट वाड्रा ने कांग्रेस की हुड्डा सरकार से जमीन पर कॉलोनी बनाने का लाइसेंस ले लिया और बिना किसी मुश्किल के रॉबर्ट वाड्रा को लाइसेंस मिल गया।
फिर 2008 में ही रॉबर्ट वाड्रा ने जमीन 58 करोड़ रुपए में डीएलएफ को बेच दी। चकबंदी महानिदेशक पद पर रहते हुए अशोक खेमका की 21 मई 2013 को दी रिपोर्ट में ये बातें सामने आई थीं।
खेमका की रिपोर्ट में कहा गया था कि जमीन खरीदने के लिए वाड्रा ने कोई पेमेंट ही नहीं की थी। इसके अलावा कई और संगीन आरोप लगाए गए थे।