लखनऊ। सुप्रीमकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू ने दावा किया है कि समाजवादी पार्टी में तख्ता पलट की लड़ाई के बावजूद अखिलेश यादव देश के सबसे बड़े प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे।
अपने बयानों के कारण अक्सर सुर्खियां बटोरने वाले जस्टिस काटजू ने यह भविष्यवाणी सोशल मीडिया के जरिए की है। उनके मुताबिक सपा में विभाजन जैसी कोई स्थिति नहीं है और अखिलेश यादव के पीछे पूरी पार्टी खड़ी है।
खास बात है कि जस्टिस काटजू ने ऐसे ओपिनियन पोल से असहमति जताई है, जिसमें कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी यूपी का विधानसभा चुनाव जीतेगी। उन्होंने यह भी दावा किया है कि भाजपा प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी से भी कम सीटे लाएगी।
उन्होंने कहा है कि अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी चुनाव जाति और धर्म के आधार पर होते हैं। हालांकि उन्होंने अपवाद स्वरूप वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव का हवाला दिया है, जिसमें मोदी लहर की बदौलत भाजपा ने जीत दर्ज की थी।
वहीं उन्होंने कहा कि वर्तमान में ऐसा नहीं है और 90 प्रतिशत मतदान पहले की तरह जाति और धर्म के आधार पर ही होंगे। जस्टिस काटजू ने विमुद्रीकरण के कारण भी भाजपा को नुकसान होने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि आम आदमी, छोटे और मझले व्यपारी, किसान आदि इससे प्रभावित हुए हैं।
इसके साथ ही जस्टिस काटजू ने कहा कि चुनाव जीतने के लिए एक प्रत्याशी को मात्र 30 प्रतिशत वोट की दरकार होती है, न कि 50 फीसदी। उन्होंने ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य आदि के 18 से 20 प्रतिशत वोट को भाजपा का वोटबैंक बताया है और कहा है कि इसके साथ ही 05 से 06 प्रतिशत ओबीसी वोट भी पार्टी को मिल सकता है।
इस तरह पार्टी फिर भी 25 या 26 प्रतिशत वोट हासिल कर पायेगी, जो कि चुनाव जीतने के लिए जरूरी 30 प्रतिशत से कम है। उन्होंने कहा कि विमुद्रीकरण के कारण कई लोगों को रोजगार छूटा है, उन्होंने नोटबन्दी की भी आलोचना की है।
जस्टिस काटजू ने यह भी लिखा है कि बसपा का वोट बैंक एससी का 20 प्रतिशत और एसटी का 02 प्रतिशत मिलाकर 22 प्रतिशत है। वहीं ओबसी का बड़ा हिस्सा सपा का वोट बैंक है, जो 20 से 22 प्रतिशत हो सकता है। ओबीसी का कुल वोट 30 प्रतिशत है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि कांग्रेस अपना पूरा वोटबैंक खो चुकी है। उन्होंने लिखा है कि उत्तर प्रदेश के मुसलमान एकजुट होकर सपा को वोट देंगे। इसके अलावा अखिलेश यादव को अपने यादव समाज का वोट भी मिलेगा।