उदयपुर। उदयपुर के पूर्व सांसद रघुवीर मीणा ने अखिल भारतीय स्तर पर मेडिकल में प्रवेश के लिए नीट की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि प्रवेश के लिए काउंसलिंग भी आॅनलाइन की गई जिसमें उदयपुर जिले की गिर्वा पंचायत समिति को छोड़कर किसी भी जनजाति बहुल पंचायत समिति को नहीं जोड़ा गया है।
पूर्व सांसद रघुवीर ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि आॅनलाइन सिस्टम में उदयपुर जिले में सिर्फ गिर्वा पंचायत समिति के ही गांव दर्शाए गए। कोटड़ा, झाड़ोल, ऋषभदेव, सराड़ा, सलूम्बर, लसाड़िया, सेमारी, खेरवाड़ा का कहीं नाम ही नहीं है। हद तो यह भी हो गई कि जब काउंसलिंग के दौरान इस समस्या की तरफ ध्यान दिलाना चाहा गया, तब कोई सुनने वाला ही नहीं था।
पूर्व सांसद ने आशंका जताई है कि इससे योग्य जनजाति प्रतिभाएं प्रवेश से वंचित हो सकती हैं। पूर्व सांसद रघुवीर ने राजस्थान में निजी मेडिकल काॅलेजों में बढ़ाई गई फीस पर भी सवाल उठाया। उन्होंने बताया कि पूर्व में जनजाति छात्र को दो से ढाई लाख रुपए फीस देनी होती थी जिसका राज्य सरकार पुनर्भरण करती थी। अब यह फीस 12 लाख हो गई है।
पूर्व सांसद ने सवाल उठाया कि इस फीस का पुनर्भरण भले ही हो जाएगा, लेकिन पहली बार में जनजाति छात्र इतनी बड़ी रकम कहां से लाएगा। पूर्व सांसद ने सरकार पर जनजाति समस्याओं की अनदेखी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पूर्व में कई क्षेत्रों को अनुसूचित क्षेत्र में शामिल करने की अनुशंसा की गई थी, लेकिन वह भी फाइलों में दफन है।
बताया गया कि केन्द्र के स्तर पर मामला अटका है। इसी तरह जनजाति उपयोजना क्षेत्र में विभिन्न विभागों में रिक्त पदों को भरने के लिए भी अलग से सेवा नियमों की अनुशंसा भी क्रियान्वित नहीं हो सकी है।