नई दिल्ली। विदेशी निवेशकों ने विभिन्न कारणों से भारतीय पूंजी बाजार से इस महीने अब तक 5,600 करोड़ रपये की निकासी की है। उन्हें लगता है कि दूसरे उभरते बाजारों के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि संभावना पहले से कमजोर लगती है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की भारतीय पूंजी बाजार से धन निकासी के लिये अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बदली नीतियां और भारत में नोटबंदी को वजह माना जा रहा है। पहले सामान्य कर परिवर्जन नियमों गार के क्रियान्वयन को लेकर ब्यौरे की प्रतीक्षा थी लेकिन सरकार ने शुक्रवार को शंकाओं को काफी कुछ दूर करते हुये इसके क्रियान्वयन से संबंधित स्पष्टीकरण जारी कर दिया।
एफपीआई ने इससे पहले अक्तूबर से दिसंबर 2016 तिमाही में इक्विटी और रिण बाजार दोनों से कुल मिलाकर 77,000 करोड़ रपये की निवल आधार पर निकासी की है। जबकि इससे पहले एफपीआई ने भारतीय बाजारों में 20,000 करोड़ रपये का शुद्ध निवेश किया था।
बजाज कैपिटल समूह के सीईओ और निदेशक अनिल चोपड़ा ने कहा, ‘‘इस महीने जनवरी में एफपीआई की निकासी की वजह भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर कमजोर पडऩे की संभावना बढऩा रहा है। निवेशको को लग रहा है कि विकसित देशों के साथ साथ अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर धीमी रहेगी।’’
इस महीने, 27 जनवरी तक, एफपीआई की इक्विटी निवेश से शुद्ध निकासी 2,139 करोड़ रपये रही है जबकि रिण बाजार से उन्होंने 3,465 करोड़ रपये की निकासी की है। कुल मिलाकर 5,604 करोड़ रपये भारतीय बाजार से निकाल लिये गये हैं। डिपाजिटरी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।