जयपुर। अपने बच्चों को आईआईटी मेंं पढाने का सपना संजोये माता-पिता को अब कोटा सहित देश भर में इंजीनियरिंग की कोचिंग में लाखों रुपए खर्च करने की जरूरत नहीं पडेगी। बच्चों सहायता के लिए केन्द्र सरकार जल्द ही “आईआईटी पल“ नाम से एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू करेगी। इसके अलावा सीबीएसई छात्रों के लिए 2017-18 के सत्र से दसवीं बोर्ड की परीक्षा अनिवार्य की जा सकती है।
जयपुर में एक दिन की यात्रा पर आए केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने मीडिया से बातचीत में बताया कि इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए कोचिंग कर रहे छात्र लाखों रुपए खर्च करते हैं। उनकी सहायता के लिए अब सरकार आईआईटी पल के नाम से एक ऑनलाइन कार्यक्रम शुरू कर रही है। इसमें जेईई परीक्षा का पूरा पाठ्यक्रम, पीरियोडिकल टेस्ट, सवाल जवाब और वह सारी सामग्री सम्मिलित की जाएगी जो कोचिंग में पढाई जाती है। इसे विषय विशेषज्ञों से तैयार कराया गया है और जल्द ही इसे शुरू कर दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह पूरी तरह निशुल्क होगा। ऑनलाइन उपलब्ध होगा और कुछ चैनल्स भी इसे प्रसारित करेंगे ताकि गांव में बैठे बच्चे भी इसकी सहायता से तैयारी कर सकें।
-2017-18 से सीबीएसई दसवीं बोर्ड अनिवार्य
केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री जावडेकर ने बताया कि दसवीं में अब देश भर में करीब ढाई करोड बच्चे परीक्षा देते हैं। इनमें से दो करोड़ राज्यों के बोर्ड में परीक्षा देते हैं। बाकी 50 लाख सीबीएसई से जुड़े हैं। इनके लिए बोर्ड परीक्षा अनिवार्य करने पर विचार चल रहा है और इसे 2017-18 के सत्र से लागू किया जा सकता है।
-राज्यों को मिलेगा पांचवी-आठवी में मिलेगा अधिकार
उन्होंने बताया कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत आठवीं तक फेल नहीं करने का प्रावधान है, लेकिन इससे शिक्षा का स्तर गिर रहा है। इसे देखते हुए केन्द्र सरकार इस कानून में संशोधन करेगी जो राज्य पांचवी और आठवीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा लागू करना चाहते हैं, उन्हें इसकी छूट दी जाएगी।
यह सबके लिए अनिवार्य नहीं होगा। संशोधन का प्रस्ताव केबिनेट में जाएगा और फिर इसे संसद में रखा जाएगा। इसके साथ ही पहली से आठवीं तक की कक्षाओं में लर्निंग आउटकम का प्रावधान भी कानून में है, लेकिन इसे अभी तक नियमबद्ध नहीं किया गया है। सरकार इसे नियमबद्ध कर रही है। इसके बाद हर कक्षा में बच्चें के लर्निंग आउटकम का मूल्यांकन होगा।
-निजी स्कूलों की मनमानी बंद करने के प्रयास
जावडेकर ने बताया कि सरकार सरकारी स्कूलों का स्तर सुधारने पर फोकस कर रही है। इसके लिए इनकी गुणवत्ता में सुधार किया जाएगा ताकि निजी स्कूलों की मनमानी खत्म हो सके।जावडेकर ने बताया कि नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2006 में लागू किया गया था।
इसमें बदलाव के लिए सुझाव आ गए है, लेकिन सरकार फिलहाल इसमें बदलाव नहीं कर रही है। सरकार का मानना है कि इसके तहत राज्यों को अपनी जरूरत के हिसाब से पाठ्यक्रम लागू करने की जो छूट मिली हुई है, वह जारी रहनी चाहिए।