जयपुर। गत वर्ष खौफ का पर्याय बने स्वाइन फ्लू ने एक बार फिर से प्रदेश में पांव पसरने शुरू कर दिए हैं। संभावित आशंका को देखते हुए चिकित्सा विभाग पूरा तरह से सतर्क हो गया है और चिकित्सकों को मरीजों की जांच में विशेष सावधानियां व सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
स्वाइन फ्लू का मामले जयपुर में भी बढ़ रहे है। मालवीय नगर स्थित एक निजी अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई। उन्हें जयपुर के एक निजी अस्पताल में 6 सितंबर को भर्ती कराया गया था। इससे पहले भी 2 मौतें जयपुर और अलवर में हो चुकी हैं।
पिछले साल इस जानलेवा बीमारी के चलते लगभग 430 मौतें हुई थी। राज्य भर में पिछले एक महीने से डेंगू से मौत के मामले भी सामने आ रहे हैं। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनवरी से अगस्त के जो आंकड़े सामने दिए वह इससे भी ज्यादा चौंकाने वाले हैं।
बरसात में मच्छरों के काटने से पैदा होने वाले डेंगू, जापानी बुखार और मलेरिया आदि रोग सालाना चक्रबन गए हैं। अकेले जयपुर व अजमेर सहित में अमूमन हर साल डेंगू से दर्जनों लोग मौत हो जाती हैं। सूत्रों के अनुसार हर बार बरसात शुरू होने के पहले इन परेशानियों से पार पाने के लिए अस्पतालों को सावधान रहने को कहा जाता है, मगर स्थिति में कोई सुधार नजर नहीं आता।
जानकारों का कहना है कि इन बीमारियों से निपटने के लिए व्यावहारिक कदम उठाए जाने चाहिए लेकिन राजनीतिक दल एक-दूसरे पर दोषारोपण कर राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास करते देखे जाते हैं। डेंगू, जापानी बुखार, मस्तिष्क ज्वर, मलेरिया जैसी बीमारियों की वजह छिपी नहीं है।
इसे लेकर विज्ञापनों, सार्वजनिक अपीलों आदि के जरिए लोगों में जागरूकता फैलाने के प्रयास भी होते हैं, पर वे कारगर साबित नहीं हो पाते। कुछ समस्याओं पर काबू पाने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ जन भागीदारी भी जरूरी होती है।